Wednesday, January 10, 2018

कोई इन्हें कहता है 'मिसाइल वुमेन' तो कोई 'अग्निपुत्री', मिलिए DRDO की टेसी थॉमस से


हाल ही में महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिन्द्रा ने एक ट्वीट के जरिये कहा था कि 'टेसी बॉलीवुड की किसी भी ऐक्ट्रेस से ज्यादा प्रसिद्ध होने की योग्यता रखती हैं। टेसी के पोस्टर हर भारतीय स्कूल में होने चाहिए, जो रूढ़ियों को खत्म करेगा और लड़कियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा'। लेकिन ऐसा क्या है जो टेसी को इतना ख़ास बनाता है। तो आपको बता दें कि टेसी थॉमस भारत की पहली मिसाइल वुमेन हैं। यकीनन जब आप टेसी के बारे में जानेंगे तो आपको भी उन पर गर्व होगा। आज हम आपको रूबरू करने जा रहे हैं टेसी की अद्भुत कामयाबी से :

केरल की हैं टेसी थॉमस


केरल के अलेप्पी में एक कैथोलिक परिवार में अप्रैल, 1964 को टेसी थॉमस का जन्म हुआ यह जगह मिसाइल लॉन्च स्टेशन से कुछ ही दूरी पर है। कलीकट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल में बीटेक करने के बाद उन्होंने पूना यूनिवर्सिटी से गाइडेड मिसाइल का कोर्स किया। ऑपरेशंस मैनेजमेंट में एमबीए और मिसाइल गाइडेंस में पीएचडी पूर्ण की।

इस वर्ष बनी DRDO का हिस्सा


वह आईएएस की परीक्षा भी दे चुकी हैं। लेकिन इत्तेफाक से डीआरडीओ और आईएएस का इंटरव्यू एक ही दिन था। उन्होंने डीआरडीओ को चुना वर्ष 1988 में वह DRDO में शामिल हुईं।

'अग्नि' के निर्माण में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका


'मिसाइल वुमन' के नाम से मशहूर वैज्ञानिक टेसी थॉमस किसी मिसाइल प्रॉजेक्ट का नेतृत्व करने वाली भारत की पहली महिला हैं। उन्होंने लंबी दूरी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि' के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वह दुनिया में रणनीतिक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों पर काम कर रही महिलाओं में से एक हैं।

वर्तमान में ASL(DRDO) की डायरेक्टर हैं टेसी


टेसी थॉमस इस समय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में एडवांस्ड सिस्टम्स लैब (हैदराबाद) की डायरेक्टर हैं। उन्होंने हैदराबाद में हाल ही में आयोजित ग्लोबल एंटरप्रिन्योरशिप सम्मिट में बतौर स्पीकर भी हिस्सा लिया ग्वालियर की आईटीएम यूनिवर्सिटी उन्हें मानद उपाधि दे रही हैं।

मिला था 'मिसाइल मैन' का सान्निध्य


उन्होंने अपना पहला मिसाइल प्रोजेक्ट डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अध्यक्षता में पूरा किया टेसी की  उपलब्धियों में अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 प्रक्षेपास्त्र की मुख्य टीम का हिस्सा बनना और सफल प्रक्षेपण शामिल हैं। उन्होंने पृथ्वी, आकाश, अग्नि, नाग, धनुष, त्रिशूल और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों के अनुसन्धान और विकास पर काम किया 2009 में उन्हें अग्नि-4 की परियोजना निदेशक बनाया गया।

कई महीनों तक नहीं गई थी घर टेसी


टेसी के मुताबिक 'अग्नि मिसाइल' के परीक्षण के पहले टेसी और उनके कई साथी कई महीनों तक घर नहीं गए। जब मिसाइल का कार्य पूर्ण हुआ और मिसाइल सभी मानकों पर खरी उतरी तो सभी घर गए। टेसी मानती है कि जैसे किसान देश के लिए मेहनत करते हैं उसी तरह साइंटिस्ट भी काम करते हैं। उनका योगदान भी किसानों जितना है। वह बताती हैं कि उनके लिए वर्ष 2006 का मुश्किल समय था। जब एक मिसाइल लांच के बाद कंट्रोल से बाहर हो गया था। इसके बाद दस महीनों तक कड़ी मेहनत के बाद इसका सफल परीक्षण किया गया।

अग्नि के अवतार में दिखा टेसी का कौशल  


टेसी जब DRDO में शामिल हुई थी तब यहां पुरुषों का बोल-बाला था। यहां टेसी ने गाइडेड मिसाइल पर काम करना शुरू किया। इस दौरान वह अपना काम चुप-चाप करती थीं। उनकी चर्चा वर्ष 2012 में हुई जब DRDO में अग्नि मिसाइल का सफल परीक्षण किया। उस वक्त उनके कौशल से पूरा देश हैरान रह गया था।

एडवांस वर्जन पर कर रही हैं काम


अग्नि के सफल परीक्षण के बाद टेसी को अग्निपुत्री टेसी थॉमस का नाम दिया गया। उन्होंने अग्नि मिसाइल के एडवांस वर्जन पर काम करना शुरू किया और अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल के बाद भारत उन देशों में शामिल हो गया है जिनके पास इंटर कोंटीनेंटल बैलेस्टिक मिसाइलसिस्टम (ICBM) है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 5000 किमी तक है।

वुमेन कॉम्बेट भूमिका का करती हैं समर्थन


48 वर्षीय भारतीय महिला वैज्ञानिक टेसी थॉमस को 2012 में टेसी थॉमस का लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयन किया गया था। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार नई दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री प्रबंधन संस्थान द्वारा लोक प्रशासन, शिक्षा और प्रबंधन क्षेत्र में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया था। थॉमस भारतीय सेना में महिलाओं को युद्ध की भूमिका दिए जाने का भी समर्थन करती हैं वह कहती हैं कि यदि वह इतनी तत्परता से सेना में भूमिका निभा रही हैं तो वह युद्ध क्षेत्र में भी भूमिका निभा सकती हैं।

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