Wednesday, February 26, 2014

स्मोकिंग के मामले में भारतीय महिलाएं दूसरे नंबर पर

यह बेहद अच्छी बात है कि महिलाएं तरक्की करें, लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वे की मानें तो भारतीय महिलाओं ने जिस क्षेत्र में विकास किया है उसे शायद ही कोई सराहे। जी हां, एक शोध के अनुसार भारतीय महिलाएं स्मोकिंग के मामले में विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर हैं। वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो स्मोकिंग करने वाली महिलाओं की संख्या में पिछले तीन दशकों में 200 फीसदी से भी ज्यादा इजÞाफा हुआ है। 1980 में भारत में जहां 53 लाख महिलाएं स्मोकिंग करती थी(चाहे वह किसी भी रूप में हो)वहीं 2012 में यह संख्या 1.21 करोड़ हो चुकी है। गौरतलब है कि आज लगभग 11 करोड़Þ व्यक्ति स्मोकिंग के एडिक्ट हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।

Wednesday, February 19, 2014

सीरियल किलिंग की खुंखार दास्ता



सीरियल किलिंग यानी किसी मनोवैज्ञानिक कारण के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों की जानबूझकर हत्या करना। इन हत्याओं के बीच कुछ घंटों से लेकर कुछ दिन सप्ताह व वर्षों का अंतराल हो सकता है। दुनिया के हर देश प्रांत और शहर में कोई कोई सीरियल किलर हुआ ही है। हालांकि इन हत्यारों की सही संख्या ज्ञात होना संभव नहीं है लेकिन कुछ लिखित दस्तावेजों के आधार पर इन्हें दो या उससे अधिक की हत्या के मामलों में  दोषी पाया गया। इनमें कुछ को कड़ी सजा भी दी गई,कुछ हत्यारे खुद हत्या का शिकार हो गए तो कुछ अपराधों की गुत्थाी आज तक अनसुलझी ही रही। इसी श्रेणी में आईए जानते हैं दुनिया के ऐसे ही कुछ सीरियल किलर्स के बारे में 

शातिरों के खौफ में रहा कोलंबिया

लुईस गाराविटो द बीस्ट के रूप में पहचाना जाने वाला लुईस एक कुख्यात अपराधी है। बच्चों का कत्ल, यातनाएं देकर लोगों को मौत के घाट उतारना, बलात्कार और फुटपाथ से सोए हुए बच्चों को उठाकर हत्या कर देना उसके मुख्य काम थे। 1990 के दशक में कोलंबिया में तकरीबन 172 से 400 लोगों का हत्यारा बना, जिमें कानूनी तौर पर केवल 138 अपराध ही साबित हो पाए, फिलहाल उस पर 20 अन्य अपराधों के मुकदमे जारी हैं जिनमें उसकी रिहाई की संभावना नहीं है। कोलंबिया के ही 65 वर्षीय पेड्रो लोपेज की बात करे, तो इसने कोलंबिया समेत इक्वाडोर और पेरू में 1969 से 1980 के मध्य 310 से साढ़े तीन सौ युवाओं को अपना शिकार बनाया। एंडीज का राक्षस के रूप में कुख्यात यह एक बाल कातिल और रेपिस्ट है जो केवल 8 से बारह वर्ष की लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था। 1980 में इसे गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद 1983 में उसे110 हत्याओं का दोषी पाया गया, जिसके बाद उसने कुल तीन सौ हत्याओं को कुबूल लिया जिसके लिए उसे 1998 में जेल से रिहा कर दिया गया। बीसवीं सदी के शातिर सीरियल किलर्स में शुमार है वर्तमान में वह कहां है यह कोई नहीं जानता। डेनियल केमार्गो की कहानी एकदम फिल्मी है बचपन में वह अपनी सौतेली मां के बुरे व्यवहार से प्रेरित होकर सीरियल किलर बना और लड़कियों के प्रति नफरत से भर गया नतीजन उसने डेढ़सौ से भी ज्यादा अविवाहित लड़कियों का रेप किया और अनके बच्चों का कत्ल किया जिनमें से उसने 72 मर्डर कुबूले। पेड्रो लोपेज के साथ ही उसे जेल में रखा गया था। उसे अपनी बुद्धिमानी के लिए जाना जाता था, जिसके बल पर वह पेड्रो को लेकर जेल से फरार हो गया अ‍ेर इक्वाडोर में जाकर हत्याएं शुरू कर दीं। आखिरकार उसे 1989 में दोबारा गिरफ्तार किया गया,और जेल में मारा गया।

नहीं छोड़ा पिता को भी

 लोग अपने से बेहद मोहब्बत करते हैं लेकिन ब्राजील के इस सीरियल किलर ने अपने पिता को भी नहीं छोड़ा पेड्रो रोर्डिग्यूज फिल्हो ने ब्राजील में 1967 से  वर्ष 2003 के मध्य सौ लोगों को मारने का दावा किय है जिसमें उसने सैंतालिस कैदियों के मारे जाने की पुष्टि की गई। यही नहीं उसने अपने पिता का कत्ल भी कर डाला और उनके दिल के टुकड़े को खा लिया। उसने अपने दो पीड़ितों को केवल चौदह वर्ष की उम्र में ही मौत के घाट उतार दिया था। 1973 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

 येंग जिन्हाई

 2000 से 2003 के बीच यह पीड़ितों के घर में  रात के अंधेरे में घुसकर घर के प्रत्येक सदस्य को कुल्हाड़ी, मांस काटने वाले छुरे तथा हथौड़े व फावड़े के प्रहारों द्वारा मार डालता था। मॉनेस्टर किलर के रूप में प्रसिद्ध येंग को वर्ष 2004 में मारा गया।
रेड राइपर और टर्मिनेटर का कहर
एंड्रेई चिकाटिलो सोवियत यूनियन और रशिया में उसका खौफ था। रोस्तोव कसाई अथवा रेड राइपर के रूप जाना जाता था। 1978 से 1990 के बीच 53 महिलाओं और बच्चों की हत्या का दोषी पाया गया। पहले से ही किसी अपराध की सजा काट रहे एक व्यक्ति  द्वारा 1994 में उसके अपराधों के लिए उसकी हत्या कर दी। सोवियत यूनियन और युक्रेन में 1989 से 1996 के बीच 'टर्मिनेटर'  और 'सिटीजन 'ओ'  के खौफ में डूबा रहा । यूक्रेन के शैतान के रूप में पहचाना जाने वाले एनाटॉली ओनोप्रेंको को 1989 में 9 लोगों और 1996 में 43 लोगों की हत्या का दोषी पाया गया, जिसके तहत उसे मौत की सजा सुनाई गई।

 ग्रीन रिवर किलर और खूनी जोकर 

 एक ट्रक पेंटर गैरी रिज्वे  को अमेरिका के सबसे कुख्यात सीरियल किलर्स में शुमार किया जाता है।  1982 से वर्ष 2000 के बीच उसने हत्याओं को अंजाम दिया। ग्रीन रिवर किलर के रूप में पहचाना जाने वाले गैरी ने अधिकतर 90 से अधिक सेक्स वर्कर्स को अपना निशाना बनाया जिसमें 49 की हत्याओं क ा दोषी पाया गया तथा 71 महिलाओं की हत्याओं को उसने स्ंवयं कुबूल कर लिया। अमेरिका का ही जॉन वेयने गेसी 1972 और 1978 के बीच  26 पुरूषों और  33 किशोर लड़कों की हत्या करने के कारण चर्चाओं में रहा । गेसी को किलर क्लॉन यानी खूनी जोकर के रूप में पहचाना जाता था। ऐसा इसलिए क्योंकि वह किसी भी हत्या को अंजाम देने के लिए किसी भी सामाजिक आयोजन में बच्चों के मनोरंजन के लिए एक जोकर पोशाक पहनकर जाता था। गेसी को 1994 में खत्म कर दिया गया।

 30 का रहा इनका आंकड़ा

  जर्मनी के कार्ल डेनाके को एक नरभक्षी के रूप में कुल्हाड़ी से यात्रियों की हत्या करने के लिए जाना जाता था।  1900 से1924 तक उसने 40 हत्याएं की जिनमें 30 की पुष्टि हो सकी। यूनाईटेड स्टेट के डीन क्रान ने 1970 से 1973 तक एकल व सामुहिक रूप से 29 लोगों को मौत के घाट उतारा। क्रोल को दक्षिणी पूर्व टेक्सास में नौजवान लड़कों की यातनाएं देकर हत्या करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया था। वैमर पैन किलर व हैमर किलर के रूप में पहचाने जाने वाले माओयुपा सेड्रिक माके ने विभिन्न प्रकार के नुकीले, धारदार, हथियारों व उपकरणों के प्रयोग से अधिकारियों व आम लोगों को अपना निशाना बनाने के लिए 38 लोगों की हत्या का जिम्मेदार मान गया। कुछ मामलों में उसने चट्टानों द्वारा पीड़ित की जान ली तथा एक हथौड़े से एक दर्जी की जान ली। उसे कुल 35 हत्याओं का दोषी पाया गया। हंगरी के बेला कीस  ने 1912 से 1916 के बीच 24 हत्याओं को अंजाम दिया। 24 महिलाओं के शव उसके घर से बरामद होने के बाद उसे सजा सुनाई गई। इसके बाद वह 1916  में जेल से भागने में सफल और हमेशा अज्ञात रहा। गौरिल्ला किलर और डार्क स्ट्रेंजलर के रूप में यूनाईटेड स्टेट में ईअरले नेल्सन 1926 में 25 महिलाओं का हत्यारा बना। वह केवल मकान मालकिनों को ही अपना शिकार बनाता था। जनवरी 1928 को उसे फांसी दे दी गई। इटली के डोनाटो बिलिंसिया ने 1997 से 1998 के बीच केवल छ माह के दौरान 17 लोगों को मुख्य रूप से 17 वैश्याओं का हत्यारा बना।उसे प्रॉस्टीट्यट किलर और लिंगुरिया मॉनेस्टर के रूप में जाना जाता था। डोनाटो को आजीवन कारावास की सजा हुई। 
ईरान के महोम्मद बिजेह ने वर्ष 2004 में बलात्कार के बाद 20 किशोर लड़कों की हत्या कर डाली जिसके लिए वर्ष 2005 में भीड़ के द्वारा पत्थर बरसाकर मार दिया गया। उसे तेहरान डेजर्ट वैम्पायर के रूप मे जाना जाता था।

 1900  ई से पूर्व के कुछ सीरियल किलर्स 

जिलेस डी रेज- 1404-1440- 80 से 200 लोगों की हत्याओं का दोषी जिनमें केवल चालीस लोगों के  शव ही बरामद हो सके।
पीटर नायर्स- 1581 - 544  हत्याओं के मामलों का दोषी जिनमें 24 प्रेगनेंट महिलाएं भी शामिल थी जिनकी हत्या के बाद वह उनके भ्रूण को नरभक्षण और काले जादू के प्रायोजन के लिए इस्तेमाल किया करता था। 
एलिजाबेथ बेथॉरी- 1560-1614- इनका नाम साढेÞ छ सौ कर्मचारियों को प्रताड़ित कर मौत के घाट उतारने के लिए अपराध लिस्ट में शामिल है। 
हार्पे ब्रॉदर्स- 1768-1799- 40 पुरूषों, महिलाओं  व बच्चों के  हत्यारे। 
जॉर्ज चेपमैन- 1897-1902- इन पर 3 महिलाओं को जहर देकर मार देने का आरोप था।
डारिया सॉल्टिकोवा-1730-1801-  138 कर्मचारियों की हत्या के संदेह में दोषी करार दिए गए।  
ठग बेहरम- ठग्गी कल्ट दुनिया के सबसे शातिर अपराधियों में से एक है। वह भारत का एक कुख्यात हत्यारा था।  1790 और1840 के बीच उसने अपने रूमाल से गला घोंटकर हत्या करने के तरीक से 931 लोगों को मौत के घाट उतारा था। आखिरकार उसे 1940 को फांसी देकर मार डाला गया

क्या है सीरियल किलिंग  

सनक और सीरियल किलिंग आज भी शोध का विषय बने हुए हैं। जबकि यह निश्चित नहीं हो पाया है कि आखिर ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से कोई सीरियल किलर बन जाता है।  शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों की माने तो अधिकतर ऐसे बच्चे जो बचपन में किसी दुर्व्यवहार, उपेक्षा, अस्वीकृति, शोषण आदि का शिकार हुए हों वह बड़े होकर हिंसक प्रवृति के हो जाते हैं,जिसका नतीजा सीरियल किलिंग के रूप में सामने आता है। शोधकर्ता इस पर लंबे समय के शोध कर रहे हैं लेकिन कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए। हां  यह साबित जरू र हुआ कि सभी सीरियल किलर मनोरोग से ग्रस्त होते हैं लेकिन सभी मनोरोगी सीरियल किलर्स नहीं होते हैं।अधिकतर शोध यही दर्शाते हैं कि मनोरोगियों में आम लक्षण  जो परिवार के इतिहास से जुड़े अथवा अनुवांशिक हो सकते हैं। यहां तक कि पर्यावरण, माहौल व अनुभव से भी जुड़े हो सकते हैं लेकिन हिंसक व्यवहार के लिए एक व्यक्ति को दानव के रूप में परिवर्तित करने के लिए केवल मानसिक असामान्यताएं, मनोरोग, अनुभव और पर्यावरण एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। 1984 में फोरेंसिक साइंसके इंटरनेशनल एसोशिएशन के लिए एक पत्र में एफबीआई के एजेंट राबर्ट रेसलर और उनके कुछ सहयोगियों ने कुछ सीरियल किलर्स की दस विशेषताओं व सामान्यताओं को सूचीबद्ध किया। इनमें नब्बे प्रतिशत में ऐसे श्वेत पुरूष थे, जिनका आईक्यु सामान्य से बेहतर अथवा उच्च था। यानी इतनी इंटेलीजेंसी के बावजूद ये लोग अपने स्कूलों में खराब रहे या उन्हें नौकरी पाने में कठिनाई हुई।  ये अधिकतर अस्थिर व बर्बाद परिवारों के बच्चे थे। उन्हें अपने पिता या किसी व्यक्ति विशेष अथवा वर्ग से सख्त नफरत थी। ये भी समानताएं देखी गई ये सभी किसी अजनबी परिवार के सदस्य के द्वारा भावनात्मक, शारिरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किए गए हों , गाली गलौज के शिकार हुए हों अथवा उनका शोषण हुआ हो। अधिकतर सीरियल किलर्स के पुराने रिकॉर्ड को देखने पर पता चलता है कि ये पहले से ही मानसिक समस्याओं के शिकार रहें हैं। कम उम्र में यौन सक्रियता, पॉर्न में गहरी रूचि पाई गई यहां तक इनमें आत्महत्या के प्रयास की दर भी काफी उच्च पाई गई। आग से बचपन में इनका लगाव इन्हें सामुहिक विनाश के लिए प्रेरित करनेकी पहली सीढी था। 

 क्यों बन जाता है कोई सीरियल किलर

 क्र ोमोसोम अब्नार्मेलिटी
 अमेरिका के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी  डा0 हेलन मॉरीसन के अनुसार ऐसा कोई देश नहीं हैं जहां सीरियल किलर्स न हुए हों लेकिन क्या कोई वैज्ञानिक कारण भी हैं जो सीरियल किलिंग के लिए प्रेरित करते हैं। यही जानने के लिए उन्होनें करीब 135 सीरियल किलर्स के इंटरव्यू किए। यहां तक कि कुख्यात सीरियल किलर जॉन वेयने गेसी के मस्तिष्क के टुकड़े को जांच के लिए भी रखा ताकि यह जान सकें कि क्या कोई जीन इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। लेकिन मॉरीसन के मुताबिक सीरियल किलर्स में एक गुणसूत्र विषमता होती हैं जिसमें वह युवावस्था के दौरान खुद को अभिव्यक्त करने के लिए हिंसक प्रवृति का सहारा लेता है। अधिकतर हत्यारों ने अपने पहले शिकार युवावस्था के दौरान ही किए हैं।  मॉरीसन के अनुसार सीरियल किलर व्यक्ति के जीवन में डर, दर्द आतंक, प्रशंसा, खुशी के लिए कोई स्थान नहीं होता है वह अपने शिकार को एकमात्र वस्तु समझते हैं। यही नहीं वह अपने पीड़ित की हत्या किसी उद्देश्य के लिए भी नहीं करते बल्कि वह उसे एक वस्तु मानकर खत्म करना चाहते हैं। ऐसा बहुत बार हुआ है जब सीरियल किलर ने अपने शिकार को किसी प्रयोग के लिए इस्तेमाल किया है यहां तक कि इससे संबंधित कुछ नोट भी उपलब्ध हुए हैं। जॉन वेयने गेसी की बात करें तो वह हत्या के बाद पीड़ितों पर प्रयोग करता था। मॉरीसन के अनुसार यह केवल पूर्ण मानवता के अभाव में ही हो सकता है न कि मनोरोग के अंर्तगत क्योंकि मनोरोगी भावनाओं को समझने की शक्ति नहीं खोता।

 कहीं आप तो नहीं छिपा है सीरियल किलर

 शारीरिक चोट
 जानवरों पर अपनी कल्पनाओं का अभिनय करना
 वयस्कता का छिपकर विकास
 कामुक गतिविधियों को प्राथमिकता
 नकारात्मक कल्पनाओं में जीना
 अलग और अकेले रहना
 बचपन में बिस्तर गीला करने की समस्या
 सेक्सुअली स्ट्रेसफुल ईवेंट से गुजरा बचपन
  बचपन के दौरान मानसिक शोषण 
 शराब और मादक पदार्थाें का सेवन

 शरीर पर लगी चोट में खासतौर पर  किसी दुर्घटना या अन्य रूप से सिर में लगी चोट किसी  बच्चे के व्यवहार को बदलने में सहायक होती है। यही नहीं जन्म के दौरान बचपन या दुर्घटना में सिर में लगी चोट से मस्तिष्क के हाईपोथेलेमस या टेम्पोरेल लोब को नुकसान पहुंचता है जो आक्रामक और हिंसक व्यवहार के लिए जिम्मेदार होता है। 70 प्रतिशत  सीरियल किलर्स बचपन में हेड इंजरी का शिकार हुए थे। सभी सीरियल किलर्स यहां तक कि 99 प्रतिशत ने अपनी हिसंक कल्पनाओं को जानवारों पर अभिव्यक्त करते थे। 57 प्रतिशत  सीरियल किलर्स को एक सीमित उम्र तक बिस्तर गीला करने की समस्या रही है। सामाजिक अलगाव कई हद तक व्यक्ति को सीरियल किलर बनने की और प्रेरित करता है। 46 प्रतिशत सीरियल किलर्स ने हाई स्कूल से आगे तक पढ़ाई नहीं की थी।  50 प्रतिशत भावनात्मक शोषण व उपेक्षा का शिकार हुए थे। 70 प्रतिशत सीरियल किलर्स ने बचपन में अपने घरों में मादक पदार्थाें से संबंधित समस्या का अनुभव किया था।