Thursday, November 9, 2017

दुनिया में ऐसे शुरू हुआ था फौजियों के छोटे बाल रखने का चलन, जानें 9 खास बातें


फौजी कट या क्रू कट किसी भी फौजी की पहली पहचान होती है अक्सर हम पूरी दुनिया में फौजियों को हमेशा ही छोटे और एक जैसे हेयरकट में देखते हैं इसे आम तौर पर ‘फौजी कट’ भी कहा जाता है। ये हेयरस्टाइल न सिर्फ सैनिकों में बल्कि आम ब्वॉयज भी स्टाइलिश दिखने के लिए सैलून में इस पॉप्युलर हेयर कट की डिमांड करते हैं। लेकिन आप शायद नहीं जानते होंगे कि आर्मी सोल्जर्स की इस फौजी कट के पीछे की वास्तविक कहानी क्या है। आम नागरिकों के लिए यह हेयरस्टाइल एक फैशनेबल और स्टाइलिश चीज हो सकती है लेकिन युद्ध के मैदान में लड़ने वाले सैनिकों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। आइए आज आपको बताते हैं मिलिट्री कट से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

प्रथम विश्वयुद्ध से शुरू हुआ था चलन


प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान बाल छोटे रखने का चलन सर्वप्रथम अमेरिकी सेना द्वारा शुरू किया गया था। युद्ध के दौरान गैस मास्क पहनने में आने वाली परेशानी के कारण जवानों से गंजा होने की मांग की जाने लगी। छोटे बाल दुश्मन की पकड़ में न आएं इसलिए भी ये चलन शुरू किया गया। जब विश्व युद्ध के दौरान, युद्ध के  दौरान अमेरिकी सैनिकों अपने सिर में होने वाली जूंओं से परेशान हो गए थे जब कोई उपाय कारगर नहीं हुआ तो अफसरों ने सैनिको को बाल छोटे कराने का आदेश दिया और इस तरह ज्यादातर सैनिकों ने जूंओं पर नियंत्रण पाने के लिए बाल छोटे करा डाले धीरे धीरे यह एक ट्रेंड बन गया और ब्रिटेन में भी ये हेयरस्टाइल काफी लोकप्रिय हो गया लेकिन ब्रिटेन के सैनिकों ने हेयरकट की एक अलग सहेली विकसित की जिसमें सिर के पीछे और साइड के बालों को काफी छोटा रखा जाता था।

20वीं शताब्दी में किया गया अनिवार्य


द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जवानों को बाल व नाखून छोटे रखने को कहा जाता था, जबकि नौसेना के जवान मीडियम हेयरकट रखते थे 1950 के दशक में इस हेयरस्टाइल की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी हुई और यहां तक कि स्कूलों व कॉलेजों में भी इस हेयरकट का प्रचालन शुरू हो गया और सेना ने इसे सैनिकों के लिए अनिवार्य कर इस दौरान विभिन्न रूप में जैसे प्रिंसटन कट, हार्वर्ड क्लिप, स्टैंडर्ड क्रू कट, कॉलेज कट, ओलिंपिक कट और फ्रांसीसी क्रॉप जैसी हेयरस्टाइल के रूप में लोकप्रियता मिली।। 20वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सेना खास तौर पर आर्मी, नेवी और एयरफोर्स ने इसे अपने अनुशासन में शामिल कर लिया और ये हेयरकट जवानों की पहचान बन गए।

यहां भी कई स्टाइल


पर्सनल अपीयरेंस अनुशासन की शुरुआत होती है। यही कारण है कि आर्मी ज्वाइन करने वाले कैडेट्स को एक न्य लुक मिलता है जो उन्हें ज्यादा शार्प और आत्मविश्वास से पूर्ण बनाता है। उनके इस लुक की शुरुआत होती है इंट्रोडक्सन कट से जो उनके बालों को एक नई शेप देता है। इसके अलावा विश्व की भिभिन्न सेनाओं में प्रचलित हेयरकट में इंट्रोडक्सन कट,  बर कट, बुच कट, क्रू कट, फेड,फ्लेट टॉप, हाई एंड टाईट आदि शामिल हैं।

जुओं से छुटकारा


प्रथम और द्वीतीय विश्व युद्ध के समय सैनिक ज्यादातर समय युद्धस्थल पर बिताने के कारण नहाने, बालों को धोने और उनके रख-रखाव के लिए ज्यादा समय नहीं होता। इसलिए जवानों को बाल छोटे रखना ज्यादा सुविधाजनक होता है।

ध्यान भंग कर सकते हैं बड़े बाल


बड़े बाल कई बार कंधे पर रखी उनकी राइफल में न उलझें या उनकी आंखों पर न आएं, क्योंकि लंबे बाल उन्हें उनके लक्ष्य से भटका सकते हैं, उनका ध्यान सीधा दुश्मन पर रहे इसलिए जवानों के बाल अक्सर छोटे ही होते हैं।

बीमारी से बचाव और कम खर्चा


छोटे बालों को सूखने में बहुत कम समय लगता है जबकि जवानों को यदि किसी नदी से गुजरना हो बारिश में भीगना हो तो बाल भीग जाने पर उन्हें सर्दी-जुकाम होने का डर नहीं रहता क्योंकि छोटे बाल जल्दी सूख जाते हैं।

 महिलाओं पर भी लागू होती है ये बात


सेना में महिलाओं पर भी शॉर्ट इज बैटर स्टाइल लागू होती है लेकिन उन्हें अपने बालों को साफ और व्यवस्थित रखने को कहा जाता है। उन्हें अपने बाल शर्ट के कॉलर तक रखने की इजाजत होती है इसीलिए फीमेल सोल्जर्स और आॅफिसर्स को हेयर कैप पहनना पड़ती है।

सिक्ख  सैनिक रख सकते हैं बड़े बाल 


हां सिख सैनिकों चाहे वह अमेरिकी सेना में हों या भारतीय सेना में उन्हें धार्मिक कारणों से लम्बे बाल रखने की इजाज़त होती है। लेकिन उन्हें भी साफ़ सफाई और अनुशाशन का ख़ास ख़याल रखना होता है और इसके लिए वह सर पर यूनिफोर्म के रंग की ही पगड़ी पहनते हैं।

एकता और अनुशासन का प्रतीक


जवानों की लाइफ बहुत ही अनुशासनात्मक होती है और वर्दी की तरह ही एक जैसा हेयरस्टाइल उनमें एकता और अनुशासन का भाव बनाए रखता है। भले ही ये एक अनिवार्य चीज हो लेकिन जवानों ने इस मिलिट्री कट को एक स्टाइल स्टेटमेंट बना दिया है, लेकिन एक बात जरूर है कि ये स्टाइल जवानों के लिए शायद इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ये उन्हें किसी आम नागरिक से ज्यादा कॉन्फिडेंट, ज्यादा स्मार्ट और ज्यादा शार्प बनाता है।

Friday, November 3, 2017

दुनिया के 10 प्रसिद्ध घोड़े जिन्होंने युद्ध में पलट दी थी बाजी, इसलिए किये जाते हैं याद


इतिहास गवाह है कि घोड़ों के बल पर कई बड़े युद्ध लड़े गये। कई लड़ाइयों का फैसला केवल अश्व और अश्वारोहियों (घुड़सवारों) की बदौलत हुआ। आज हम आपको महाराणा प्रताप के विख्यात घोड़े चेतक के बारे में तो बताएंगे ही साथ ही सिकंदर समेत दुनिया के तमाम महान योद्धाओं के घोड़ों के साहसिक कारनामों के बारे में भी बताएंगे। आइए जानते हैं युद्ध के दौरान प्रयोग किए गये 10 घोड़ों (युद्ध अश्वों) की कहानियां, जो कहीं अधिक चर्चा की हकदार है :

चेतक


चेतक उत्तर भारत के राजपूत राजा महाराणा प्रताप का घोड़ा था। चेतक की मौत 21 जून, 1576 को हल्दीघाटी की लड़ाई में लगी चोटों की वजह से हुई थी। यह लड़ाई मुगलों और राजपूतों के बीच हुई थी। राजस्थान के हल्दी घाटी में उसके नाम पर एक स्मारक भी बनाया गया है। चेतक का नाम कई कविताओं और लोकगीतों में आता है।

BUCEPHALUS



Bucephalus  इतिहास का पहला विख्यात घोड़ा था जिसे सिकंदर महान ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में खरीदा था। Bucephalus  ने अनगिनत युद्धों में सिकंदर का साथ दिया था और उसकी मौत ईसा पूर्व 326 ईस्वी में भारतीय राजा पॉरस के साथ लड़ाई में लगी चोटों के कारण हुई। सिकंदर ने उसकी याद में झेलम नदी के तट पर Bucephala नामक शहर की स्थापना की जो अब पाकिस्तान में है।

SERGEANT RECKLESS


Sergeant Reckless अब तक के सबसे चर्चित युद्ध अश्वों में से एक थी जो अमेरिकी सेना के पास थी। Sergeant Reckless अपनी बुद्धिमता और क्षमता के साथ सोलो ट्रिप (अकेले यात्रा करने) लगाने के लिए विख्यात थी। उसका उपयोग कोरिया युद्ध के दौरान रसद पहुंचाने, हथियारों को ढोने तथा घायल जवानों को सैन्य स्थल से दूर ले जाने के लिए किया गया। 1953 में आउटपोस्ट वेगास की लड़ाई के दौरान उसने एक ही दिन में 51 सोलो ट्रिप लगाए थे। उसे 1954 में सार्जेंट की उपाधि दी गई। उसकी मौत 1968 में हुई। उसका चयन लाइफ मैगजीन ने 100 सर्वकालिक बहादुर घोड़ों में किया था।

TRAVELLER


ट्रैवेलर अमेरिकी गृह यृद्ध के दौरान कंफेडेरेट्स सेना के कमान अधिकारी जनरल रॉबर्ट ई.ली का पसंदीदा घोड़ा था। लड़ाई में अपनी गति, ताकत और हिम्मत के मामले में उसका कोई सानी नहीं था। 1871 में Traveller को टिटेनस हो गया और असहनीय दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए उसे गोली मार दी गई थी।

KASZTANKA


Kasztanka पोलैंड युद्ध के बहादुर मार्शल Jozef Pilsudski की चर्चित घोड़ी थी जो अखरोट के रंग के कारण विख्यात थी। उसने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ऑस्ट्रिया-हंगरी तथा जर्मनी के खिलाफ लड़ाइयों में बखूबी अपने मालिक का साथ निभाया। Jozef Pilsudski ने Kasztanka  पर आखिरी सवारी पोलैंड के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 11 नवंबर, 1927 को वारसा में की। उसकी मौत 23 नवंबर, 1927 में हुई।

MARENGO


Marengo फ्रांस के विख्यात बादशाह नेपोलियन बोनापार्ट का बेहद चर्चित युद्ध अश्व था जिसे यह नाम फ्रांस और ऑस्ट्रिया के बीच Marengo के युद्ध में उसकी आश्चर्यजनक क्षमताओं को देखते हुए दिया गया था। Marengo मूल रूप से मिस्त्र की नस्ल का था जिसे 1799 में आयात कर फ्रांस लाया गया था। उसने चर्चित वॉटरलू समेत अनगिनत लड़ाइयों में नेपोलियन का साथ निभाया। वॉटरलू की लड़ाई में Marengo को बंदी बना कर इंग्लैंड लाया गया जहां 1831 में उसकी मौत होने तक वह रही।

PALAMO


Palomo एक ऊंचे कद, लंबी पूंछ और सफेद रंग लातिनी अमेरिका के ‘उद्धारक‘ सिमोन बोलिवर का घोड़ा था जिसे एक किसान महिला ने उपहार में इस महान जनरल को दिया था। बोलिवर ने उद्धार संघर्ष से संबंधित कई अभियानों में उस पर सवारी की। एक लंबी यात्रा के बाद Palomo की मृत्यु हो गई। उसके पांव के नाल मुलालो के संग्रहालय में रखे गए हैं।

COPENHAGEN


Copenhagen ड्यूक ऑफ वेलिंगटन, लॉर्ड ऑर्थर वेलेजली का विख्यात युद्ध अश्व था जिसे जनरल ग्रॉसेवेनौर ने पाला था। लॉर्ड वेलिंगटन ने कई सैन्य अभियानों में उस पर सवारी की। Copenhagen 1815 के वॉटरलू युद्ध में जनरल के साथ था जिसने नेपोलियन बोनापार्ट को हराया था। युद्ध के बाद अपने आखिरी दिन Copenhagen ने ड्यूक के अस्तबल में काटे।

CINCINNATI


Cincinnati अमेरिकी गृह युद्ध के जनरल तथा राष्ट्रपति Ulysses S. Grant के तीन विख्यात युद्ध अश्वों में एक था। Cincinnati ने कई अभियानों में जनरल का साथ दिया जिसका जिक्र ग्रांट ने अपने कई चर्चित संस्मरणों में किया है। बाद में, अब्राहम लिंकन भी Cincinnati के प्रशंसकों में से रहे जिन्होंने उस पर रोजाना सवारी की। Cincinnati की मौत मैरीलैंड स्थित एडमिरल डैनिएल अमेन के फार्म में 1878 में हुई।

COMANCHE


Comanche अमेरिकी सेना का एक चर्चित घोड़ा था जो Little Bighorn की लड़ाई में जीवित बच गया था। अमेरिकी सेना ने इसे 1868 में खरीदा था और 7वीं घुड़सवार सेना के कैप्टन Myles Keogh उस पर सवारी किया करते थे। Little Bighorn की लड़ाई में, जिसमें कोई भी सैनिक जीवित नहीं बचा था, Myles Keogh के घायल होने के बावजूद Comanche उन्हें सुरक्षित वापस ले आया। मरने के बाद Comanche की सैन्य तरीके से अंत्येष्टि की गई जो एक बेहद दुर्लभ अवसर था।