Sunday, March 30, 2014

जब मकैनिक बनी ब्रिटेन की महारानी

एलिजाबेथ अलेक्जेंडरा मैरी जी हां, यही है इनका पूरा नाम, ब्रिटेन की महारानी आज लोग इन्हें एलिजाबेथ द्वितीय के नाम से जानते हैं। 21 अप्रैल 1926  को जन्मी एलिजाबेथ  प्रिंस एल्बर्ट ड्यूक की पहली संतान थीं। उनके जन्म के समय यह कोई नहीं जानता था कि वह एक दिन एक साम्राज्य पर अपना राज चलाएंगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह कभी स्कूल नहीं गर्इं। एलिजाबेथ और उनकी छोटी बहन मार्गेट को एक साथ निजी तौर पर घर के भीतर ही शिक्षा ग्रहण कराई गई।  उनकी इस शिक्षा में फ्रेंच, गणित, इतिहास और भूगोल मुख्य थे। यही नहीं संगीत  व नृत्य में रूचि के साथ साथ नृत्य कला और गयान की शिक्षा भी ली। 1936 में एलिजाबेथ के गै्रडफादर किंग जॉर्ज पंचम की मृत्यु के पश्चात उनके जीवन में बड़े परिवर्तन हुए, उनके चाचा एडवर्ड आठवें को सत्ता सौंपी गई लेकिन वह केवल छ माह ही शासन संभाल पाएं ऐसा इसलिए हुआ ,क्योंकि वह एक अमेरिकी तलाकशुदा महिला विलियम सिम्पशन  के प्यार में पड़ गए और एक दौर ऐसा आया जहां उन्हें ताज और अपने प्यार दौनों में से एक को चुनना था, सो उन्होंनें ताज को त्याग दिया और एलिजाबेथ के पिता प्रिंस एल्बर्ट ड्यूक को सत्ता सौप दी गई, और वह किंग जॉर्ज छठे बन गए। 12 मई 1937 यही वह समय था जब पिता के शासन ग्रहण करने पर एलिजाबेथ और छोटी बहन मार्गेट को छोटे क्राउन ताज पहनाए गए। उस दिन वह पहली बार अपनी महल से ब्रिटिश आवाम से मुखतिब हुर्इं।  3 स्सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, सुरक्षा को देखते हुए उन्हें लंदन से बाहर भेज दिया गया। वह लंबे समय तक लंदन से बाहर रहीं उन्होनें ज्यादा वक्त  विन्ढसॉर कैस्टल में बिताया जहां से 14 वर्षीय राजकुमारी ने 1940 में  उन्होेनें  युद्ध के समय बेघर हुए बच्चों को समर्पित रेडियो पर अपना पहला और प्रसिद्ध ब्रॉडकॉस्ट दिया।  मार्च 1945 तक वह 18 वर्ष की हो चुकी थी, और अब राजकुमारी एलिजाबेथ ने  आर्मी की महिला सैन्य ब्रांच एटीएस ज्वॉइन कर ली थी।  एक माह बाद उन्होनें वाहन चालक और मकैनिक की परीक्षा को पास कर लिया। अब वह आर्मी के खराब ट्रकों टैंको को रिपेयर भी करती थीं। और भारी वजन ढोने वाले आर्मी ट्रकों को चलाती थीं। क्वीन सशस्त्र बल में शामिल होने वाली तथा युद्ध के दौरान सेवा करने वाली शाही परिवार की पहली सदस्य है। हालांकि यह कार्य एलिजाबेथ ने बहुत लंबे समय तक नहीं किया। वहीं द्वितीय विश्व युद्ध मई  1945 को खत्म हुआ और बकिंघम पैलेस में जनता के समक्ष एक भारी जश्न मनाया गया, जिसमें एलिजाबेथ और मार्गेट दौनों ही शामिल हुर्इं।1947 में राजकुमारी ने प्रिंस फिलिप आॅफ ग्रीस के साथ विवाह किया। उनका विवाह समारोह लंबे युद्ध के  कई दुखद वर्षों के बाद एक खुशी का जश्न था।  7 फरवरी 1952 में किंग जॉर्ज छठे लंबी बीमारी के कारण  मृत्यु को प्राप्त हुए और एलिजाबेथ को ब्रिटेन की महारानी घोषित कर दिया गया।
30 मार्च को मुंबई एब्सोल्यूट इंडिया में प्रकाशित


एलिजाबेथ की कुछ खास बातें

  •  एलिजा बेथ द्वितीय दुनिया की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध महिला है वह दुनिया के सबसे ज्यादा नेताओं से मुलाकात करने वाली महिला भी हैं। यही नहीं उनसे ज्यादा यात्राएं इतिहास में किसी भी राजा या महारानी ने नहीं की हैं।  उन्होंने यूनाईटेड किंगडम के 12 प्रधानमंत्रियों से मुलाकात कर चुकी हैं। 
  • महारानी एलिजाबेथ ने अपना पहला टेलिविजन ब्रॉडकास्ट 1957 को क्रिसमस की संध्या को दिया था।
  •  क् वीन को कुत्तों से बेहद प्यार है। उनका पसंदीदा डॉग कॉर्गिस है, इसके अलावा वह लेब्राडोर और स्पेनिल्स को भी पसंद करती हैं।
  •  महारानी के प्रत्येक  प्रशासनिक जन्मदिवस पर बंदूकों के फायर के साथ सलामी दी जाती है।
  •  एचआरएस किसी भी रॉयल परिवर की उच्चता का प्रतीक है जबकि एचएम यानी  महामहिम एकमात्र महारानी एलिजाबेथ को दिया गया है। 
  •  सभी  रॉयल्स नौसेना के जहाज महारानी के जहाज कहलाते हैं जैसे कि एचएमएस ओशन।
  •  सभी ब्रिटिश सिक्कों पर महारानी का ताजसहित सिर अंकित किया गया है।
  • अपने जन्मदिवस के समारोह के दौरान 31 जून 1981 को वह 17 वर्षीय युवक के द्वारा गोली चलाए जाने पर वह बाल बाल बचीं थी।
  •  26 मार्च 1976 को क्वीन एलिजाबेथ ने रॉयल सिग्नल के प्रतिस्थापित किए जाने पर नैटवर्क प्रौद्योगिकी में शामिल होकर पहला ईमेल किया था।यह ईमेल सम्रग आधुनिक इंटरनेट पर प्रसारित किया गया था। यानी ईलेक्ट्रॉनिक मेल का प्रयोग करने वाली वह राज्य में पहली नागरिक बनी थी।
  •  महारानी एलिजाबेथ ने अपनी पति का कभी नाम नहीं लिया।
  •  एलिजाबेथ ने अपने राशन कूपन को बचाकर एकत्र की गई रकम से ही अपनी विवाह की पोशाक का खर्च भरा था। इस साटन वैडिंग गाउन को  नॉर्मन हार्टनेल ने डिजाईन किया था, इस डेÑस में तकरीबन 10हजार सफेद मोती लगाए गए थे और हाथीदांत के साथ कढ़ाई की गई थी।
  • 60 वर्षो के शासनकाल में वह 116 देशों का दौरा कर चुकी हैं लेकिन उनके पास पासपोर्ट नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी ब्रिटिश पासपोर्ट महारानी के नाम से ही जारी किए जाते हैं इसलिए उन्हें इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती। 
  •  अपने शासनकाल के दौरान वह अभी तक 3.5 मिलियन से भी ज्यादा चीजें प्राप्त कर चुकी हैं। 
  •  महारानी बनने के पश्चात से उन्हें अभी तक 404,500 से भी अधिक पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
  •  एलिजाबेथ 600 से भी ज्यादा चैरिटी आॅर्गेनाईजेशन की संरक्षक हैं।
  •  
    उनका जन्म 21 अप्रैल का है लेकिन यह हमेशा जून में मनाया जाता है।

Monday, March 10, 2014

एक इंच की यात्रा .....

मीलों की यात्रा से नहीं खोजी जा सकती है दुनिया
और यह भी  जरूरी नहीं  कि
 बहुत लंबी हो यह, मगर
एक आध्यात्मिक यात्रा से
 एक इंच की यात्रा से
 जो होती है बहुत कठिन, सुखद और खुशहाल
जिससे अपने पैरों के बल पर हम जमीन पर पहुंचते हैं
और रखते हैं अपना पहला कदम
अपने ही घर में घूम लेते हैं हम दुनिया का कोना कोना।

Sunday, March 9, 2014

जब मैं सफर में होती हूं,

 जब मैं सफर में होती हूं,
 तन स्थिर होता है लेकिन
 मन को मिल जाते हैं विषय अनंत।
 मिल जाती है धूमिल पृथ्वी पर कहीं थोड़ी हरियाली,
 और ज्Þारा सा खुश होने को थोड़ी खुशियां।
मिलते हैं बहुत चेहरे पहचानने को,
खामोश रहकर भी जो कह जाते हैं कई कहानियां।
मिलते हैं कतार में पीछे की ओर भागते हुए पेड़,
बिजली के खंभे और स्कूल,
 अडिग विशाल और खड़े सेवा को तत्पर।
 दाढ़ी वाले बूढेÞ मुल्ला भी मिलते हैं
 टूटी झोंपड़ी में करते खेतों की रखवाली
 लिए तलब मगरिब की नमाज़ की।
 मिल जाता है लिए कोई अखबार हाथ में
 कई तरह के मुहं बनाता हुआ पढ़ता खबरें आज की।
 मिलता हैं मां के इंतजार में
 खेत की मेढ़ पर बैठा बच्चा
 बेचैन होकर किनारे से चुनता हुआ सपनों के कंकर।
जब शाम होती है तो गांव की पगडंडियों पर
मुझे मिलती हैं बहुत सारी बालिकाएं
बढ़ते अंधेरे को पीछे धकेलकर तेजी से घर जाती हुई।
 कई बार सफर में बज उठती है मेरे फोन की घंटी
 मधुर लगती है जब तक बजता है संगीत इसमें
फिर मेरे दृश्यों को आनंद छीन लेती है यह।
अधूरी रह जाती है कविताएं मेरी
अतृप्त रह जाता है मन यर्थाथ चित्रों से ।
कल फिर से कहीं सफर पर होंगे हम
मिलेंगे मन को क ई विरले विषय,
और फिर बजेगी मेरे फोन की घंटी और
 फिर से फूटेंगे कुछ शब्द मस्तिष्क में
 फिर रह जाएगी कोई कविता अधूरी।

Thursday, March 6, 2014

स्त्री है वह.......

On 8th March  Women's Day

ते जाते जो घटता है हर और सहा,
 किसी काम को जिसने कभी न नहीं कहा।
बेहतर दिन की आशा में हर रोज निराशा सहती है
 स्त्री है वह
 आराम नहीं है पसंद उसे न ही तुमकों तन्हा रहने देती है
 स्त्री है वह, जो गुजारती है दिन मुस्कुराते हुए
 मगर सोती है सिसकती रातें लेकर,
 स्त्री है वह
 वह, जो दिखती है बहुत मजबूत किंतु
 महसूस करती है बहुत कमजोर
 स्त्री है वह जो, खुद को संभालती है स्वयं
 गिर पड़ती है जब हर मोड़ पर
 स्त्री है वह
 खुद को खोकर मिटाती है दर्द तेरा
 स्त्री है वह जो अपने वजूद की ख्वाहिश में
एक उम्र गंवाती है।

Wednesday, March 5, 2014

जब संभलता हूं ...............

 अभी अभी  कुछ शब्दों को जोड़ा,  कुछ पंक्तियां बन गई जरा गौर फरमाईए .......

 अपनी  हिम्मत का राज  मै बताता हूं,
 जब संभलता हूं तो अपनी पीठ थपथपाता हूं।
 दर्द में भी मुस्कुराता हूं  बेहिसाब,
 इस तरह जलने वालों को मैं जलाता हूं।
 गले मिलकर भी गला दबा देते हैं लोग,
 हाथ मिलाने में लोगों से अब घबराता हूं।
 डूबने से डरता था मगर डूबा तो पार हुआ,
 हर पहाड़ सी मुश्किल को अब राई बनाता हूं।
 यह हकीकत है कि हूं मैं जिद्दी बहुत,
 यही हथियार है इसके बल पर ही हर जंग जीत लाता हूं। 

Tuesday, March 4, 2014