Tuesday, February 27, 2018

PICS: संदेशे आते हैं..चिट्ठी आई है...! इन 11 तस्वीरों में देखिये चिट्ठियों से फौजियों का खास नाता

संदेशे आते हैं हमें तड़पाते हैं...कि चिट्ठी आती है, पूछे जाती है कि घर कब आओगे.....!  बेशक  यह गीत जब भी सुनाई पड़ता है तो यकीनन हम खुद को फौजियों के करीब पाते हैं। आज भले ही चिट्ठियों कि जगह मोबाइल फोन या इंटरनेट ने ले ली हो। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वतन से दूर कई-कई  दिन या महीनों तक मोर्चे पर डटे फौजियों के लिए ये चिट्ठियां  अपनों के पास होने का एहसास  कराती रहीं है। आज हम आपके लिए लाए हैं कुछ ऐसी ही खास तस्वीरें जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि फौजियों के लिए कितनी महत्वपूर्ण रहीं ये साधारण सी चिट्ठियां :-

संदेशा आया है


जी हां, अपनों से दूर जब किसी जवान के नाम किसी अपने की चिट्ठी पहुंचती है तो उसके चेहरे पर एक ख़ुशी और रौनक छा जाती है। इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि पीछे बैठे दोनों जवान अपनी बारी के लिए कितने उत्सुक दिख रहे हैं। मानो कह रहे हों 'हमारी चिटठी नहीं दोगे क्या डाक बाबू ..?

हाल-ए-दिल


मां-पिता जी को प्रणाम लिखो और बच्चों को प्यार.... ! आगे लिखो, हमने जंग जीत ली है। बस मुझें अपना एक पैर गंवाना पड़ा... नहीं, नहीं, यह मत लिखो मां को बहुत दुःख होगा, लिखो मैं बिलकुल अच्छा हूं।

ताका-झांकी


तुम्हारी मां ने तुम्हारी प्यारी बकरी बेच दी है। क्योंकि वो सारे फूल खा गई थी। तुम्हारी चिटठी में यही लिखा है न ! मैंने अभी-अभी पढ़ा।

अपनों के पास होने का एहसास


'हम सब अच्छे हैं। तुम्हारे बेटे ने चलना शुरू कर दिया है। अब वह  रोज अपने दादा के साथ पार्क जाता है। फौजी साहब आपकी चिट्ठी में ऐसा कुछ लिखा है क्या?

बड़े दिनों के बाद


हवलदार मुन्ना की चिट्ठी मुझे देना। इस बार मैं उसे परेशान करूंगा। वह हर बार मेरी चिट्ठी मुझसे पहले लेजाकर सबके सामने पढ़ देता है।

अपनों की फ़िक्र


ये तीनों अपनी चिट्ठियां पढ़कर इतने सीरियस क्यों है? जरुर इनका कोई रिश्तेदार बीमार होगा...? 

बंकर से गांव तक का सफर


मां मैं ये चिट्ठी अपने कैंप से ही लिख रहा हूं। मैंने अभी-अभी खाना खाया है। अपनी जुराबें और पतलून धोकर पेड़ पर सुखा रखी है। ये साहब ख़त में यही लिख रहे होंगें न।

एक जैसा हाल


मेरी पत्नी ने लिखा है कि वह मेरे जाने पर खूब सारी शॉपिंग करेगी। हां, मेरी पत्नी ने भी नए घर की डिमांड की है। अच्छा है दोस्त तब तो इस बार घर जाने पर जेब ढीली करनी ही पड़ेगी या फिर ज्याद पैसा ट्रांसफर करना पड़ेगा ?

जब हो कुछ खास


अरे जनाब! आपकी चिटठी में ऐसा क्या ख़ास है जो सबसे अलग आकर पढ़ रहे हैं ।अच्छा, कहीं मम्मी ने लड़की की फोटो तो नहीं भेजी है कि बेटा जल्दी से पसंद करके जवाब भेज दो।  

मां की जिदें


देखो! तुम इस बार भी गोल-मोल करके चले गए थे। मैंने एक लड़की पसंद की है। इस बार तो तुम्हें शादी करनी ही होगी।
ओह ! मां मेरी शादी को लेकर कितना परेशान रहती हो। इस बार लगता है मेरी शादी करवाकर ही मानोगी।  

हां सब ठीक है


मां मैं यहां ठीक हूं, अभी आने के बारे में कुछ नहीं कह सकता। तब तक अपना ध्यान रखना और डैड का रेडियो मैं अपने साथ ले आया था। वह उसे ढूंढ रहे होंगे।

PICS : आपको भी सम्मान से सराबोर कर देंगी,सेना के जवानों की ये 11 तस्वीरें

'फौजी' नाम जबान पर आते ही वर्दी और बूट्स पहने, हथियार लिए जवान की तस्वीर जेहन में बनने लगती है। किसी भी देश की सेना के जवान तत्परता, वीरता और अनुशासन की मिसाल होते हैं। लेकिन ये सब हासिल करने के लिए उन्हें कठिन ट्रेनिंग, परिश्रम और त्याग से गुजरना पड़ता है। तब जाकर वह कहलाते हैं एक 'फौजी'। आज हम आपके लिए लाए हैं सेना के जवानों की ऐसी ही कुछ तस्वीरें जिन्हें देखकर आप भी गर्व से कह उठेंगे हमें सेना के जवानों पर गर्व है।

हिमालय से मजबूत हौंसले


जो-जो भी बाधाएं आईं उन सब से ही लड़ा हिमालय, इसीलिए तो दुनिया भर में हुआ सभी से बड़ा हिमालय। जी हां, हिमालय की ही तरह मजबूत बनने का प्रशिक्षण लेते ITBP के जवान।

बोर्न टू बी 'कमांडो'


'उंचाई से डर नहीं लगता साहेब! कमांडिंग ऑफिसर से लगता है..? जी हां, सेना के जवानों में जितना खौफ अपने अफसर का होता है। उतना शायद किसी का भी नहीं। अपनी ट्रेनिंग के दौरान करतब दिखाते सेना के कमांडो। 

मुश्किलें ही आसान करती हैं राह


संयम, समय, शक्ति और अनुशासन जिन्दगी में कितना महत्त्व रखते हैं। ये सेना के जवान से बेहतर और कौन  जान सकता है?

जितना आसान उतना ही मुश्किल


बचपन में गुलाटी लगाने का बहुत शौक था। लेकिन आर्मी ज्वाइन करने पर पता चलता है कितना मुश्किल है गुलाटी लगाना?

हर चुनौती  हमें स्वीकार



आग, हवा और पानी हर मुशिकल से लड़ने के गुर सीखते सेना के जवान।

जब हो बात कुछ खास करने की


कीचड़ में होली खेलते तो बहुत से लोगों को देखा होगा। क्या कभी किसी को कीचड़ में वॉलीबॉल खेलते देखा है? नहीं देखा तो सेना के जवानों की ये तस्वीर देखिये। है न मजेदार !

बड़े दिल वाले


ओह! आज तो तू अपने सब दोस्तों को ले आई है। अब तो ज्यादा पूडियां लानी पड़ेंगी ! हिमाचल के चिटकुल गांव में तैनात जवान भेड़ों को खाना खिलाते हुए।

अपनों से दूर


देखो! तुम बहुत छोटे हो। अकेले घूमोगे तो खो जाओगे। चलो, तुम्हें तुम्हारे घर छोड़कर आता हूं। किसी सुदूर इलाके में तैनात सेना के जवान की इस खूबसूरत तस्वीर को देखकर कुछ ऐसा ही ख़याल आता है न ?

तुम में मैं हूं, मुझ में तुम हो


'तुम्ही से मोहब्बत, तुम ही प्रेमिका' अपने भाव बयान करने के लिए यह तस्वीर ही काफी है। हाल ही में पूरी दुनिया में 'वैलेंटाइन डे' मनाया गया लेकिन सशस्त्र सीमा बल के जवान ने कुछ इस तरह मनाया अपना वैलेंटाइन।

बर्फ के साथ-साथ


चुनौतियां जितनी ज्यादा होती हैं, हम उतने ही निखरते हैं। तभी तो बनते हैं जांबाज 'फौजी'।

जीत की ओर हर एक कदम


व्योम छूते, दुर्गम पर्वतों के शिखर शिलाओं को चीरते आगे बढ़ते ITBP के जवान।

Pics : ‘मेकिंग इन सोल्जर’ 13 खास तस्वीरें, देखिये कैसे होती है जवानों की ट्रेनिंग

सेना में शामिल होते ही व्यक्ति एक जवान के रूप में अपनी एक नई जिन्दगी शुरू कर देता है। उसका हर दिन एक नया दिन होता है। उसे हर उस चुनौती से गुजरना होता है, जो उसे मजबूत बना सके। इसके लिए भले ही उसे कड़ी मेहनत क्यों न करनी पड़े। कहा जाता है कि जवान अपनी ट्रेनिंग के दौरान जितनी कठिन चुनौतियों से गुजरता है, युद्ध में उतना ही बेहतर प्रदर्शन कर पाता है। आइये आज हम आपको तस्वीरों के माध्यम से रूबरू करा रहे हैं ट्रेनिंग के दौरान जवानों की दिनचर्या से -

मजबूत इरादे


मैं एक सोल्जर हूं, 'जहां मुझे कहा जाए, वहां लड़ता हूं और जहां लड़ता हूं वहां जीतता हूं।'

एक-दूसरे के साथी


देखो! हमें मुश्किल परिस्थितियों में  एक दूसरे के लिए खड़ा रहना होगा। यदि तुम्हे कुछ हुआ तो मैं तुम्हें इस तरह सुरक्षा दूंगा।

बस एक निशाना : दुश्मन


बर्फीले इलाकों में दुश्मन के अलावा फिसलन भरे मैदान भी बड़ी चुनौती होते हैं। एक बार फिसले तो....निशाना चूका ! इसलिए दोनों की प्रैक्टिस जरूरी है जनाब !  

प्रेक्टिस से ही तो आता है परफेक्शन


अधिकतम ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात रहने की ट्रेनिंग लेते ITBP के जवान ।

हिमालय के प्रहरी


अनुशासन, अनुसरण और अनुकूलता यह सब  ही तो सिखाती है फ़ौज की ट्रेनिंग । 

राष्ट्र के लिए


सुबह से शाम तक, हम कड़ी मेहनत करते हैं ... क्योंकि हमने अपने राष्ट्र की सुरक्षा और सेवा की शपथ ली है।

चैलेंज से चेंज तक

'यदि यह तुम्हें चैलेंज नहीं करता तो यह तुम्हें चेंज नहीं कर सकता।' इसलिए  तो हम किसी चुनौती से नहीं डरते। 

फौलादी हैं हम


Harder- Better- Faster-Stronger :  ये सब ही तो है एक फौजी की पहचान। 

अचूक निशाना


'ज्ञान सीखने से बढ़ता है और स्किल प्रैक्टिस से निखरती है।' खुले मैदान में दुश्मन को मार गिराने का प्रशिक्षण लेते CISF  के जवान। 

दृढ़ता हमारी पहचान


शौर्य हमारी शान है दृढ़ता है पहचान, भारत माता के लिए हो जाते कुर्बान। युद्ध के गुर सीखते CISF के जवान।

यूं ही नहीं हमारा नाम याद रखती है दुनिया


Run-Climb-Swing and Jump: 'खुद को चैलेन्ज करो और खुद को खोजो।' अपनी ट्रेनिग के दौरान CISF कमांडो।

संघर्ष से शक्ति


निरंतर प्रयास और संघर्ष के माध्यम से आता है शक्ति और विकास।

सुरक्षा जानो- आग पर काबू पाओ


सतर्क रहिये! सुरक्षा दुश्मन के खिलाफ हो या फिर सुरक्षा आग के खिलाफ हो मकसद दोनों का एक ही होता है।

Pics : 11 तस्वीरें, देखें मोर्चे पर खाना-खाने के लिए कैसे समय निकालते हैं फौजी

सैनिक अपने देश के लिए क्या नहीं करते। बात चाहे  देश की आंतरिक सुरक्षा की हो या फिर सीमा पर दुश्मन से लड़ने की। इसके लिए विभिन्न देशों को गृह युद्ध अथवा दूसरे देश से युद्ध करना पड़ता है। इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है उस देश की सेना और वे सैनिक जो  फ्रंटलाइन पर मोर्चा संभालते हैं। उन्हें दुश्मन के सामने डटे रहना होता है। सोना, खाना-पीना सब के लिए थोड़ा वक्त भी मिल जाए तो काफी है। आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं सैनिकों की कुछ नई-पुरानी दिलचस्प तस्वीरों से। इन्हें देखकर आप एहसास कर सकेंगे के मोर्चे पर सेना के जवान आखिर अपने खाने का इंतजाम कैसे करते हैं ?

मिशन के दौरान


दूरस्थ इलाकों और लंबे मिशन के दौरान सैनिकों को कई बार कम भोजन में भी काम चलाना पड़ता है। वे अपनी रसोई साथ रखते हैं सैनिकों को कुछ इस तरह भी रोटी सेकनी पड़ जाती है जनाब !   

खुद के दम पर


अत्याधिक ऊंचाई वाले इलाकों में सैनिकों को समय पर राशन मिलता रहे। इसके लिए विशेष टुकडियां खुद भोजन बनाकर सैनिकों को ताजा भोजन मुहैया कराती हैं । 

टिफिन इनका साथी


सैनिकों को जब कई घंटों तक सीमा सुरक्षा या ऑपरेशन में तैनात रहना होता है तो वे अपने साथ टिफिन लेकर जाना बेहतर समझते हैं। जम्मू-कश्मीर व अरुणाचल जैसे इलाकों में ज्यादातर टिफिन ही सैनिकों का साथी होता है।   

बड़ा खाना


'बड़ा खाना' सैनिकों के मुंह से अक्सर यह शब्द सुनने को मिलता है। दरअसल, इसमें बड़ा कुछ नहीं होता बल्कि यह किसी विशेष उपलक्ष में आयोजित किया जाने वाला सामूहिक भोज होता है।   

स्वाद नहीं सिर्फ पेट भरने की जरुरत


जी हां, यह तस्वीर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की है। यकीनन ऐसे में सैनिकों को स्वाद की नहीं सिर्फ पेट भर जाने की जरुरत होती है।   

जो भी मिले खा लो


मोर्चे पर डटे रहने वाले सैनिकों के मदद करने  वाले कर्मचारियों का काम भी कम मुश्किल नहीं होता। ये तस्वीर  विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के कर्मचारियों की है। सैनिकों के पास खाना खाने के लिए बेहद कम समय होता था।   

सीमित राशन, कम समय


द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जंग लड़ रहे ब्रिटिश सैनिकों की यह तस्वीर  बताने के लिए काफी है कि जंग के दौरान सैनिकों को भोजन के लिए कितना कम समय मिलता होगा।   

दिन-रात तैनात


सैनिकों को दिन रात अपनी सीमा और अपने साजो-सामन कि सुरक्षा करनी होती है। वे इसे छोड़कर नहीं जा सकते इसलिए वह खाने के लिए भी कहीं दूर नहीं जा सकते । 

बस थोड़ी सी जगह


जी हां, यहां न तो समय होता है और न ही बहुत सारे व्यंजन बस एक प्लेट रखने को जीप का बोनट काफी है। इसीलिए तो इन्हें किसी डाइनिंग टेबल की जरुरत नहीं होती।  

तपते  रेगिस्तान में


'यह खाना पेट भरने के लिए बुरा नहीं है लेकिन मैं यहां अपनी मां के हाथ का बना खाना मिस कर रहा हूं।' इस तस्वीर को देखकर ऐसा ही ख्याल आता है न ? 

दोनों काम साथ-साथ


मुझे पहले निगरानी करनी होगी, वरना दुश्मन मेरे लंच टाइम का फायदा उठा सकता है।