Friday, January 5, 2018

चट्टान जैसे मजबूत होते हैं वायुसेना के ‘गरुड़ कमांडो’, जानें 7 खास बातें


भारतीय वायुसेना आसमान में देश की सरहदों की रखवाली का जिम्मा अपने कंधो पर उठाए हर मुश्किल के आगे चट्टान बन खड़ी रहती है। और इसी वायुसेना का हिस्सा है जाबांज स्पेशल फोर्स ‘गरुड़ फोर्स’। आज हम आपको बता रहे हैं चट्टान की ही तरह मजबूत गरुड़ फोर्स के कमांडो के बारे में कुछ ऐसे तथ्य जिन्हें जान कर  गरुड़ फोर्स पर आप भी गर्व करेंगे -:

अहम दायित्व निभाते हैं गरुड़ कमांडो


गरुड़ कमांडो एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा जैसे मुख्य दायित्व निभाते हैं। इसके अलवा वायुसेना के अहम ठिकाने  जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से जरूरी उपकरण लगे होते हैं उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी गरुड़ फ़ोर्स के ही जिम्मे होती है। इन कमांडो का ये नाम  हिन्दू पौराणिक कथा के किरदार पर पड़ा है। भारत की बेहतरीन स्पेशल फोर्सेज में से एक गरुड़ फोर्स का नाम हिन्दू पौराणिक कथाओं में उल्लेखित 'गरुड़' के नाम पर रखा गया।

हर कौशल में किया जाता है प्रशिक्षित


एक गरुड़ कमांडो को कई तरह के कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है जिसके लिए अलग-अलग संस्थानों में उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। जैसे स्पेशल ऑपरेशन की ट्रेनिंग, स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, NSG आदि के साथ दी जाती है। जो ट्रेनिंग में पास हो जाते है उन्हें आगे आगरा पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया जाता है। इसी तरह गरुड़ कमांडो को भारतीय नौसेना के डाइविंग स्कूल और भारतीय थल सेना के काउंटर इन्सरजेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल (CIJWS) में भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

डायरेक्ट एक्शन से ले कर स्पेशल ऑपरेशन करने में सक्षम


गरुड़ कमांडो हर तरह के मिशन को अंजाम देने के लिए ट्रेन किये जाते हैं। जरूरत पड़ने पर वे दुश्मन की सीमा में घुस कर भी अपने ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। गरुड़ कमांडो Airfield Seizure, Special Reconnaissance, Airborne Operations, Air Assault, Unconventional Warfare, Counter Terrorism, Foreign Internal Defence, Special Operations, Combat Search and Rescue, COIN (Counter Insurgency) Special Operations  जैसे अभियानों के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं।

आर्मी और नेवी से अलग होती है चयन प्रक्रिया


गरुड़ फोर्स के लिए चयन प्रक्रिया आर्मी और नेवी से अलग होती है। गरुड़ फोर्स में वालंटियर एंट्री न कर एयरमैन सिलेक्शन सेंटर्स द्वारा विज्ञापन निकाल कर भर्ती की जाती है। जो आवेदक चयन प्रक्रिया पर खरे उतरते हैं। उन्हें ट्रेनिंग के लिए आगे भेज दिया जाता है।

स्पेशल फोर्सेज में ट्रेनिंग सबसे लम्बी अवधि


किसी भी भारतीय स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग का सबसे लम्बा ट्रेनिंग पीरियड गरुड़ फोर्स में ही होता है। हर कमांडो को 72 हफ्ते के ट्रेनिंग कोर्स से होकर गुज़रना पड़ता है जिसमें बेसिक ट्रेनिंग भी शामिल होती है। 3 साल की ट्रेनिंग के बाद ही एक गरुड़ कमांडो पूरी तरह ऑपरेशनल कमांडो बनता है। ट्रेनिंग इतनी सख्त होती है शुरूआती 3 महीनो में ही बहुत से ट्रेनी हर महीने ट्रेनिंग बीच में ही छोड़ देते हैं।

आधुनिक हथियारों से होते है लैस


गरुड़ कमांडो कई तरह के हथियार चलाने में माहिर होते है. Glock 17,19 और 26 सेमी-आटोमेटिक पिस्तौल, IMI TAR-21 Tavor असाल्ट राइफल, IMI STAR-21  Sharpshooter Tavor जैसे अन्य आधुनिक हथियारों के साथ साथ गरुड़ कमांडो नाईट विज़न, स्मोक ग्रेनेड, हैंड ग्रेनेड आदि भी इस्तेमाल करते हैं।
(सभी फोटो : साभार गूगल )

1 comment:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, १०० में से ९९ बेईमान ... फ़िर भी मेरा भारत महान “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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