Friday, October 11, 2013

शूज वॉक अराउंड द वर्ल्ड..


जूते से तो आप परिचित होंगे ही, जूता पैरों में पहनी जाने वाली एक ऐसी वस्तु है, जिसका उद्देश्य चलते खेलते दौड़ते समय पैरों को सुरक्षा और आराम देना है।

केवल काम के वक्त पहना जाता था जूता

समय समय पर संस्कृति के साथ जूते के डिजाइन व रंग रूप में बड़ा परिवर्तन आया है। अपने मूल स्वरूप में जूते काम के समय में पहना जाता था। समकालीन जूते बनावट मजबूती और लागत की दृष्टि से व्यापक रूप में भिन्न होते हैं। बुनियादी सैंडल में केवल एक पतला तला और एक सामान्य पट्टा शामिल था, जबकि अन्य जूते अति विशिष्ट प्रयोजनों के लिए होते हैं, जैसे पर्वतारोहण और स्कीइंग के लिए डिजाइन किए गए जूते। पारंपरिक रूप से जूते चमड़ा, लकड़ी या कैनवास से बनाए जाते रहे हैं, लेकिन उत्तरोत्तर रबर, प्लास्टिक और अन्य पेट्रोरसायन-व्युत्पन्न सामग्री से बनाए जाने लगे हैं। हाल के वर्षों तक, जब विश्व की जनसंख्या के अधिकांश लोगों द्वारा जूते नहीं पहने जाते थे, क्योंकि वे खरीदने में समर्थ नहीं थे। बड़ी संख्या में उत्पादन के आगमन के उपरांत ही जूतों के सस्ती दर पर उपलब्ध होने से, जूते पहनने का चलन प्रबल हुआ है।

चमड़े से बना था पहला जूता

 सर्वाधिक पुराने जूते 1938 में ओरेगन, संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए गए 8000 से 7000 ई पू पुराने सैंडल हैं। दुनिया का सबसे पुराना चमड़े का जूता जो गोचर्म के एक ही टुकड़े से बना था और सामने तथा पीछे सीवन के साथ चमड़े की डोरी से बांधा गया था, यह 2008 में आर्मेनिया की एक गुफा में पाया गया है और यह विश्वास किया जाता है कि यह 3500 ईसा पूर्व का है। 3300 ईसा पूर्व पुराने पर्वतारोहियों के जूते, ओत्जी जिनके तले भालू की खाल से बने थे। हालांकि, जूते बनाने के लिए सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला पकाया हुआ चमड़ा, सामान्यत हजारों वर्ष तक नहीं टिक सकता, इसलिए संभवत इससे पूर्व भी जूतों का प्रयोग होता होगा।  जूतों का उपयोग आज से 40,000 से 26,000 वर्ष पूर्व के बीच आरंभ हुआ था, जैसे ही यूरोप ने धन और शक्ति प्राप्त की, बढ़िया और महंगे जूते हैसियत के प्रतीक बन गए।  कारीगर अमीर ग्राहकों के लिए अद्वितीय जूते बनाते थे, और नई शैली विकसित करत थे। इसी श्रेणी में  एक सिले हुए तले वाले आधुनिक जूते का आविष्कार हुआ। 17वीं सदी से, चमड़े के जूतों में सिले हुए तले का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आज भी यह बेहतर गुणवत्ता वाले कपड़े पहनने वालों के लिए जूते का मानक बना हुआ है। 1800 के आसपास तक, जूते बाएं या दाएं पैर का अंतर किए बिना बनाए जाते थे। इस तरह के जूतों को अब स्ट्रेट्स कहा जाता है। 20वीं सदी के बाद से, रबर, प्लास्टिक, सिंथेटिक कपड़ा और औद्योगिक आसंजकों के क्षेत्र में प्रगति ने निमार्ताओं को जूते की पारंपरिक निर्माण तकनीक से उल्लेखनीय रूप में परे हटकर जूतों के निर्माण के अवसर दिए।

इतनी तरह के जूते

स्प्रैडिल्स- सैंडल, जो आज भी पहने जाते हैं, अधिकतम 14 वीं सदी जितने पुराने हैं।  इसी तरह खड़ाऊं व्यक्ति के पैरों को बाहर से  सूखा रखने के लिए लकड़ी का एक यूरोपीय आवरण जूता था। इसे सबसे पहले मध्य युग में पहना गया और 20वीं सदी के शुरू तक भी इसका इस्तेमाल जारी रहा। कुछ डच, फ्लेमिंग्स और कुछ फ्रेंच लोगों ने इसी प्रकार के पूरी तरह से ढके हुए नक्काशीदार लकड़ी के जूते तैयार किए। लकड़ी से ही बना आगे से लंबा व नोकदार जूता 15वीं सदी में काफी लोकप्रिय रहा। उत्तरी अमेरिकी जनजातियों द्वारा पहना जाने वाला मोकासिन एक ऐतिहासिक जूता था।

पुरुष भी पहनते थे हाइहील

आपको जानकर हैरानी होगी की कभी पुरुष भी महिलाओं की ही तरह हाई हील पहना करते थे। ऊंची एड़ी जूते के इतिहास की बात की जाए तो फ्रांस के लुइस चौदहवें का जिक्र करना जरूरी है। दरअसल वह एक महान शासक था, लेकिन उसकी लंबाई केवल पांच फुट चार इंच थी। उसने अपनी इस कमी को पूरा करने के लिए 10 इंच की हील के जूतों से पूरा किया। उसके जूतों की हील्स पर अक्सर उसके द्वारा जीते गए युद्धों को जिक्र उकेरा जाता था। 1740 तक पुरुषों ने ऊंची हील का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। 50 साल बाद ए ऊंची हील के जूते महिलाओं के पैरों से भी गायब हो गए।
-   जूते ने परी कथाओं सिंड्रेला, द  वंडरफुल विजार्ड आॅफ ओज तथा द रेड शूज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
-    साहित्य फिल्म में, खाली जूता या जूते की जोड़ी को मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। 
-    मध्य पूर्व, अफ्रीका के कुछ भाग, कोरिया और थाईलैंड में किसी को जूतों के तले दिखाना असभ्यता मानी जाती है
-    जूता फेंकना मध्य पूर्व के कुछ भागों और भारत में एक बड़ा अपमान माना जाता है।
-    थाइलैंड में पैर, जुराब या जूते का किसी के सिर से छू जाना या सिर पर रखना एक  चरम अपमान समझा जाता है।
-    दुनिया का सबसे महंगी सैंडल  276.000 पौंड से अधिक कीमत के है। इसमें एक लाख सफेद हीरे लगे हैं। जिसकी भारतीय मुद्रा में कीमत तीन करोड़ के लगभग है। डिजाइनर कोथ्रिन विल्सन ओक्लेंड ओर्सिनी  ने ए जूते तैयार किए हैं।
-    इटली की कंपनी मिनेल्ली को जूतों पर भगवान राम के चित्र छापे जाने के कारण जूते बाजार से वापस लेने पड़े थे।
-  स्टुअर्ट विहट्ज्मेन आज के समय में महंगे जूते डिजाइन करने के लिए प्रसिद्ध हैं।