Wednesday, February 5, 2020

भारतीय सेना ने सिर्फ बंदूकों के दम पर पाक को दे दी थी शिकस्त, जानें इंडियन आर्मी की 7 खास बातें



पड़ोसी देश द्वारा अवैध घुसपैठ, आतंकवाद, आंतरिक संघर्ष या फिर आपदा, भारतीय सेना ने देश की आवाज को हमेशा बुलंद रखा है और गर्व से चौड़ा सीना। इतना ही नहीं भारतीय सेना ने ऐसा बहुत कुछ जो देश की जनता को दिया है वो हमें गौरवान्वित करता है। फिर चाहे वह दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र पर विजय पताका फहराना हो, ऑपरेशन राहत या फिर बेली ब्रिज का निर्माण... ये नायाब उपलब्धियां सेना के ही नाम दर्ज हैं। भारतीय सेना से जुड़ी ऐसी ही कुछ जानकारियां आज हम आपको बताने जा रहे हैं...

सबसे बड़ी स्वैच्छिक सेना


भारतीय सेना दुनिया की सबसे बड़ी स्वैच्छिक सेना है। ऐसी सेना जिसमें नागरिक अपनी मर्जी से सेना में भर्ती होते हैं।

दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध मैदान


दुनिया के सबसे बड़े युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर भारत का नियंत्रण है। यह स्थान समुद्र तल से पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर है। यहां पर भारत-पाकिस्तान के बीच साल 1984 से वर्चस्व की जंग चल रही है। यहां अमेरिका, ब्रिटेन और रूस की विशेष ऑपरेशन टीमें प्रशिक्षण लेने आती हैं। यहां तक कि जब अमेरिका को अफगानिस्तान पर हमले के दौरान जब अपने स्पेशल फ़ोर्स की तैनाती करनी थी तो उनको ट्रेनिंग इसी HAWS में दिलाई गई थी।

दुनिया का सर्वोत्कृष्ट मिलिट्री ट्रेनिंग सेंटर


भारतीय सेना का हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HWS) दुनिया के सर्वोत्कृष्ट सैन्य प्रशिक्षण केंद्रों में से एक है। यह जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग में स्थित है।

'बैटल ऑफ लोंगेवाला'


भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में लोंगेवाला की लड़ाई लड़ी गई थी। इसमें भारत के पास M-40 राइफल और एक जीप के साथ महज 120 सैनिक थे, जबकि पाकिस्तान के पास दो हजार सैनिक, 45 टैंक और एक मोबाइल इंफैंट्री ब्रिगेड थी। इस लड़ाई में केवल दो भारतीय जवान हताहत हुए थे।

ऑपरेशन राहत


2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ से प्रभावित नागरिकों को निकालने व सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए 'इंडियन एयरफोर्स' ने दुनिया का सबसे बड़ा अभियान चलाया था।

एशिया की सबसे बड़ी नेवल एकेडमी


ये एकेडमी केरल में है और एशिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी एकेडमी है। यह 12 साल में बनकर तैयार हुई। इसकी लागत 721 करोड़ रुपये आई।

बेली ब्रिज


ये दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज है। यह हिमालय पर्वत में द्रास और सुरू नदियों के बीच लद्दाख घाटी में स्थित है। भारतीय सेना की इंजीनियरिंग विंग ने इसे 1982 में बनाया था।

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