Monday, March 19, 2018

इस मंदिर पर पाकिस्तान ने गिराए थे 450 बम, लेकिन सब हो गए बेअसर, अब BSF करती है देखभाल


राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 125 किलोमीटर दूर तनोटराय माता का मंदिर है। यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। माता तनोट राय के मंदिर को श्री आवड़ देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा मंदिर है, जिसकी देख-रेख तथा पूजा अर्चना का काम भी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा ही किया जाता है।1965 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान जहां हर तरफ भारी नुकसान हुआ था लेकिन मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुआ। आखिर क्यों ख़ास है यह मंदिर आइये जानते हैं।

यहां दुश्मन ने गिराए थे तीन हजार बम


इस मंदिर को हिंगलाज माता के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान में हिंगलाज माता का शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलोचिस्तान में स्थित है। लेकिन तनोट माता का मंदिर के बारे में आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 1965 के दौरान हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना ने इस मंदिर को एक पोस्ट के रूप में इस्तेमाल किया था। इस दौरान पाकिस्तान ने इस स्थान पर तकरीबन 3000 बम गिराए। लेकिन इस मंदिर का कुछ न बिगाड़ सके। इस चमत्कार को देखकर भारतीय सेना में इस स्थान के प्रति श्रद्धा और बढ़ गई। इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। 

इतिहास में दर्ज है कुछ ऐसी कहानी


इस मंदिर के बनने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। बताया जाता है कि यह मंदिर तकरीबन 1200 वर्ष पहले अस्तित्व में आया था। प्रचलित कथाओं के मुताबिक राजस्थान के जैसलमेर में एक छोटे गांव में एक व्यक्ति रहता था। उसके कोई संतान नहीं थी। तब वह हिंगलाज की पैदल यात्रा के लिए गया और वहां माता से प्रार्थना की कि वह उसके घर दिव्य रूप में जन्म लें। बहुत पूजा-पाठ के बाद उसे एक पुत्री हुई जिसका नाम आवड़ देवी रखा। बड़ी होने पर वह अपने चमत्कारों के कारण काफी प्रसिद्ध हो गई। बाद में स्थान का नाम तनोट होने के कारण वह तनोट राय माता के नाम से प्रसिद्ध हुईं। तनोट के अंतिम राजा भाटी तनुराव थे, जिन्होंने इस मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई थी। वर्तमान समय में यह मंदिर भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है।

आज भी मंदिर में मौजूद हैं दुश्मन के जिंदा बम


भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 में युद्ध हुआ था। इस युद्ध में पाकिस्तान ने जैसलमेर बॉर्डर पर हमला किया। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने तनोट राय माता मंदिर पर भी जबरदस्त हमला किया। इस युद्ध में पाकिस्तान की ओर से तकरीबन 3000 बम इस क्षेत्र पर गिराए गए। ये मंदिर भी युद्ध के दौरान चपेट में आया। यही नहीं, 450 बम मंदिर परिसर में ही गिरे लेकिन, तनोट राय माता का चमत्कार ही कहा जाता है कि इनमें से एक भी बम नहीं फटा। इन सभी बमों को तनोट राय माता मंदिर में बने संग्रहालय में रखा गया है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इन बमों को तनोट राय माता के चमत्कार के रूप में देखते हैं।

'पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह' बनी थी यह जगह


ऐसा ही एक चमत्कार 1971 के युद्ध में भी देखने को मिला, जब जैसलमेर बॉर्डर पर स्थित लोंगेंवाला में पाकिस्तान की एक पूरी ब्रिगेड ने भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी पर हमला कर दिया था। लोंगेवाला की जंग के दौरान इस मौके पर भारतीय फौजियों की एक छोटी-सी टुकड़ी ने पाकिस्तानी सेना की पूरी ब्रिगेड और उनके टैंकों को नेस्तनाबूद कर दिया था। कहा जाता है कि तनोट राय माता मंदिर के नजदीक ही ये जंग हो रही थी। लेकिन इस मंदिर को इस जंग में भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

तत्कालीन प्रधानमंत्री भी इस चमत्कार को देखने पहुंची थीं 


इस जंग के बारे में कहा जाता है कि यह तनोट राय माता का ही आशीर्वाद था कि भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी थी। लोंगेवाला को आज भी पाकिस्तानी टैंकों की कब्रगाह के रूप में याद किया जाता है। इस युद्ध के खत्म होने के पश्चात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस मंदिर के दर्शन करने पहुंची थीं। लोंगेवाला की विजय के बाद मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ का निर्माण किया गया। जहां अब हर वर्ष 16 दिसंबर को सैनिकों कि याद में उत्सव मनाया जाता है।

पाकिस्तानी सेना भी झुकाती है सिर


1965 का युद्ध खत्म होने के बाद पाकिस्तानी सेना ने भी तनोट राय माता के चमत्कार को माना। यही नहीं युद्ध खत्म होने के बाद पाकिस्तानी सेना के ब्रिगेडियर शहनवाज खान भी तनोट राय माता के दर्शन करने भारत आए थे। तनोट राय माता के दरबार में नतमस्तक होते हुए उन्होंने माता के दरबार में चांदी का एक छत्र अर्पित किया। पाकिस्तान के सैनिक ‘माता तनोट राय’ की शक्ति के आगे सिर झुकाते हैं।

BSF ने लिया है मंदिर के रख-रखाव का जिम्मा


1965 के चमत्कार और 1971 की लोंगेवाला जंग की विजय के बाद से बीएसएफ ने यहां एक चौकी स्थापित कर दी। साथ ही इस मंदिर के रखरखाव का पूरा जिम्मा लिया। बीएसएफ द्वारा मंदिर की पूजा और प्रबंध संचालन के लिए एक ट्रस्ट भी बनाया गया है। इस चमत्कारी मंदिर की मान्यता इतनी है कि बीएसएफ के जवान ड्यूटी पर निकलने से पहले तनोट राय माता का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। कई मौकों पर बीएसएफ के जवान यहां रात्रि भजन कीर्तन का भी आयोजन करते रहते हैं। उनका भरोसा है कि तनोट राय माता के आशीर्वाद से दुश्मन उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता है।
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