Monday, June 11, 2018

स्वदेश लौटी INSV तारिणी, मिलिए देश की 6 साहसिक बेटियों से

भारतीय महिलाएं आज घर की चहारदीवारी से बाहर निकलकर पुरुषों के वर्चस्व के क्षेत्रों में भी अपने कदम मजबूती, शिद्दत और जिम्मेदारी से रख रही हैं। जमीन, आसमान, समंदर, बर्फीली पहाड़ियों, तपते रेगिस्तान, खतरनाक जंगल अब उनसे अछूते नहीं रहे हैं। फाइटर प्लेन उड़ाना हो या कोर्ट में फैसला देना हो। पुलिस की वर्दी में अनूठे काम करने हों या जंग के मोर्चे पर या समंदर का चक्कर लगाकर नया इतिहास लिखना हो। सभी क्षेत्रों में निष्ठा, समर्पण, साहस, शौर्य, पराक्रम की स्याही से वह कामयाबी की नई इबारत लिख रही हैं। इस स्तंभ के अंतर्गत आज हम आपको  से मिलवा रहे हैं उन छह साहसी महिलाओं से जिन्होनें 7 महीनों के दौरान समद्र की यात्रा कर नारी शक्ति का एक सशक्त उदहारण प्रस्तुत किया है। आइये जानते हैं -

लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी की अगुवाई में 'INSV तारिणी' पर सवार 'नाविका सागर परिक्रमा' के अपने मिशन को पूरा कर भारतीय नौसेना का महिला दल सकुशल देश लौट चुका है जहां उनका जोर-शोर से स्वागत किया गया। ख़ास बात यह है कि केवल छह महिलाओं की इस टीम ने इस मिशन को बिना किसी पुरुष की सहायता के सफलतापूर्वक पूरा किया है, जो पूरे विश्व के लिए महिला शक्ति की उम्दा मिसाल है। इस टीम में शामिल सभी छह महिलाएं आज लाखों युवतियों की प्रेरणा बन रहीं हैं 'नाविका सागर परिक्रमा' इस महिला टीम का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी कर रही थीं। टीम के अन्य पांच सदस्यों में लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, लेफ्टिनेंट कमांडर पी स्वाति, लेफ्टिनेंट ऐश्वर्या बोडापति, लेफ्टिनेंट एस. विजया देवी और लेफ्टिनेंट पायल गुप्ता शामिल रहीं।

कई रिकॉर्ड बना चुकी हैं लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी 


लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ऋषिकेश (उत्तराखंड) के उग्रसेन नगर की रहने वाली हैं। उनकी मां डा. अल्पना जोशी, ऋषिकेश डिग्री कॉलेज में प्रवक्ता और पिता डॉ. प्रदीप कुमार जोशी गढ़वाल केन्द्रीय विवि श्रीनगर (उत्तराखंड) में प्रोफेसर हैं। वर्तिका ने अपनी पढ़ाई श्रीनगर और ऋषिकेश से पूरी की है। उन्होंने एमिटी विवि से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक और आईआईटी दिल्ली से एमटेक किया।
वर्ष 2010 में वर्तिका नौसेना में अधिकारी बनी थीं। इंडियन नेवी ज्वाइन करने के बाद से वर्तिका नौसेना के साहसिक अभियानों में लगातार शामिल होती रही हैं। नौसेना में भर्ती होने के बाद वह ब्राजील के रियो डि जिनोरियो से दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन तक पांच हजार नॉटिकल मील का समुद्री अभियान तय कर चुकी हैं। वर्तिका ने अपनी जिम्मेदारी सकुशल निभा कर यह साबित किया है कि देश की बेटियां किसी से कम नहीं।

लेफ्टिनेंट कमांडर पायल ने MNC की नौकरी छोड़कर ज्वाइन की थी इंडियन नेवी 


देहरादून रेसकोर्स निवासी पायल गुप्ता के पिता विनोद गुप्ता व्यापारी और मां नीलम गृहिणी हैं। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा कारमन स्कूल से की इसके बाद उन्होंने देहरादून से ही बीटेक किया। ग्रेजुएशन के बाद पायल को गुड़गांव की एक कंपनी में प्लेसमेंट मिला। लेकिन पायल के अनुसार कम्प्यूटर के सामने बैठना उन्हें पसंद नहीं था। इसलिए उन्होंने नौसेना को चुना।

हिमाचल की इकलौती महिला नेवी अधिकारी हैं प्रतिभा जामवाल



हिमाचल के कुल्लू की रहने वाली लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा के घर में खुशी का माहौल है। क्योंकि उनकी बेटी ने एक खास अभियान से सफलतापूर्वक लौटकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। नौसेना में आने के बाद उन्होंने सेलिंग अभियान में हिस्सा लेना शुरू किया। वह गोवा में तैनात हैं और 2 वर्ष से वह सागर परिक्रमा के लिए विशेष प्रशिक्षण ले रही थीं। अपने इस सफर के दौरान प्रतिभा ने बताया कि, 'दक्षिणी महासागर चुनौती दे रहा है सिकुड़ती ठंड, माइनस 55 डिग्री तापमान, ऊंची-ऊंची लहरें, तूफ़ानी हवाएं... इन सबका सामना अब हमें ही करना है, लेकिन इसी में तो थ्रिल है। इस अभियान से लौटकर प्रतिभा जून माह में अपने घर कुल्लू जाएंगी।

काई अभियानों का हिस्सा रह चुकी हैं लेफ्टिनेंट कमांडर पी. स्वाति 


स्वाति का बचपन विशाखापत्तनम में गुज़रा हैं। जहां नौसेना के बोट क्लब में सेलिंग प्रतियोगिता होती थी। स्वाति की मां उन्हें इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए हमेशा प्रेरित किया करती थीं और तब से ही यह उनके शौक में शुमार हो गया। भारतीय नौसेना ज्वाइन करने के बाद वह विभिन्न अभियानों में अब तक पांच बार भूमध्यरेखा पार कर चुकी हैं। लेकिन दक्षिणी महासागर में सेलबोट से जाने का अनुभव उनके लिए नया था।

अपने क्षेत्र का गौरव हैं मणिपुर की विजया देवी 


लेफ्टिनेंट कमांडर विजया देवी भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में डिग्री ली है। बोट के डेक पर खड़े होकर समंदर देखना उन्हें अच्छा लगता है।विजया और उनकी टीम के बाकी सदस्यों का कहना है कि समंदर यात्रा के दौरान कोई तनाव नहीं रहता। इसलिए तनाव दूर करने के लिए कुछ अलग करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।

सपने को जी रही हैं लेफ्टिनेंट कमांडर ऐश्वर्या 


हैदराबाद की रहने वाली ऐश्वर्या बोडापति के मुताबिक उन्होंने अपने पिता को बचपन से नौसेना की वर्दी में देखा है। इसलिए इंडियन नेवी में जाना उनका बचपन का सपना रहा है। ऐश्वर्या की हाल ही में सगाई हुई है और इस अभियान के पूरा होने के बाद शादी करने वाली हैं। इस अभियान के बारे में एश्वर्या का कहना है कि तारिणी और ये दोस्त ही मेरा परिवार हैं। हममें से अगर एक नहीं हो तो कुछ अधूरा-सा लगता है।

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