Monday, June 11, 2018

महिला शक्ति : फर्श से अर्श तक ऐसा था प्रथम 'महिला फाइटर पायलट' अवनि चतुर्वेदी का सफर, 7 खास बातें



इतिहास में जब भी महिलाओं के सामर्थ्य, साहस व कौशल की बात होगी तो उसमें अवनि चतुर्वेदी का नाम अनुकरणीय होगा। क्योंकि अवनि चतुर्वेदी ने सरकार के उस फैसले पर खरा उतरकर दिखाया है जिस फैसले के तहत सरकार ने महिलाओं को लड़ाकू विमान उड़ाने का एक प्रयोग के तौर पर मौका देना चाहा और आज अवनि देश की पहली महिला फाइटर पायलट के रूप में देश को गौरवान्वित कर रही हैं। दरअसल, उन्होंने अकेले फाइटर जेट मिग-21 उड़ाकर यह साबित कर दिया कि भारतीय स्त्री उस हर क्षेत्र में दखल दे सकती है जिसे अब तक पुरुषों के वर्चस्व वाला क्षेत्र माना जाता रहा है। आइये जानते हैं नई पीढ़ी की लड़कियों को आगे बढ़ने का हौसला देने वाली अवनि का ये सफ़र आखिर कैसा था ?

एक छोटे गांव से हैं 'अवनि'


अवनि का बचपन मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक छोटे कस्बे दियोलैंड में बीता। उनके पिता दिनकर चतुर्वेदी पेशे से इंजीनियर हैं और मां हाउस वाइफ। उनका एक बड़ा भाई सेना में कैप्टन है। अवनि ने अपनी  शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम से पूरी की है। लेकिन वह अपने स्कूल में दसवीं व बारहवीं कक्षा की टॉपर रही हैं। आगे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए वह राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ चली गईं, जहां से उन्होंने कम्प्यूटर साइंस में बी-टेक किया।

ऐसे मिली लड़ाकू विमान उड़ाने की प्रेरणा


अवनि अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला के जीवन से सबसे अधिक प्रभावित हैं। लेकिन भाई के सेना में होने के कारण उससे ही अवनि को देश सेवा का जज्बा मिला है। अपनी स्नातक यानी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने तक अवनि को यह भी मालूम नहीं था कि वह आगे चलकर फाइटर पायलट बनना चाहती हैं। लेकिन पढ़ाई के दौरान उन्हें एक फ़्लाइंग क्लब में जाने का मौका मिला। जहां उन्होंने पहली बार लड़ाकू विमान उड़ाने के बारे में जाना। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अवनि ने एयरफोर्स की टेक्निकल सर्विस ज्वाइन करने वाली परीक्षा दी, जिसमें उनका सेलेक्शन हो गया।

120 कैडेट्स में चुनी गईं थी 'अवनि'


अवनि के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उनसे पहले देश कोई भी किसी भी महिला को फाइटर पायलट नहीं चुना गया था। कुल 120 कैडेट्स में से अवनि के साथ दो अन्य लड़कियों भावना कंठ और मोहना सिंह को भी फाइटर पायलट के लिए चुना गया था। इन तीनों लड़कियों को हैदराबाद स्थित वायुसेना अकादमी में एक साल तक पुरुषों की ही तरह कठिन प्रशिक्षण दिया गया लेकिन अवनि खुशकिस्मत रहीं कि उन्हें सबसे पहले युद्धक विमान उड़ाने का मौका मिला। अपनी ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने 'हॉक एडवांस जेट ट्रेनर' पर उड़ान भरने से लेकर मिग-21 तक में उड़ान भरने का प्रशिक्षण लिया और अक्टूबर वर्ष 2017 में वह फाइटर पायलट के तौर पर कमीशन पाने की हकदार बनीं।

और फिर ऐसे रचा इतिहास


एक फाइटर पायलट के तौर पर 24 वर्षीय अवनि ने उस वक्त इतिहास रच दिया, जब उन्होंने 19 फरवरी, वर्ष 2018 को गुजरात के जामनगर एयरबेस से मिग -21 विमान से ऐतिहासिक उड़ान भरी और सफलता पूर्वक अपने मिशन को पूरा किया। हालंकि, वह आज भी कड़े प्रशिक्षण और अभ्यास से गुजर रही हैं, ताकि एक दक्ष फाइटर पायलट बनें। क्योंकि ऑपरेशनल फील्ड के लिए उन्हें बेहद कठिन तैयारी करनी होगी। आपको बता दें कि अवनि को टेनिस खेलना और  पेंटिग करना काफी पसंद है।  

इससे पहले महिलाओं को नहीं थी 'फाइटर प्लेन' उड़ाने की अनुमति


फाइटर पायलट होने का मतलब है कि अब वह युद्ध की स्थिति में सुखोई जैसे लड़ाकू विमान भी उड़ा सकेंगी। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह भी है की वर्ष 2016 से पहले महिलाओं को फाइटर प्लेन उड़ाने की अनुमति नहीं थी। भारतीय वायुसेना में कुल 94 महिला पायलट्स हैं लेकिन ये फाइटर जेट्स नहीं उड़ाती बल्कि हेलिकॉप्टर या दूसरे विमान ही उड़ाती थीं। वर्ष 2015 में सरकार ने एक प्रयोग के तौर पर फाइटर पायलट का प्रशिक्षण देने के लिए महिलाओं को भर्ती किया और एक साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद अवनि ने पहली महिला फाइटर पायलट होने का तमगा अपने नाम कर लिया।

भारत के लिए बड़ी उपलब्धि


पड़ोसी मुल्कों की बात करें तो पाकिस्तान में वर्ष 2006 से ही महिलाएं फाइटर पायलट की भूमिका में हैं। वहां इस समय 21 महिला फाइटर पायलट्स हैं। चीन में 2004 महिलाएं फाइटर जेट्स उड़ा रही हैं। भारतीय वायुसेना के लिए यह घटना बेहद महत्वपूर्ण है कि अब एयरफोर्स में महिलाएं भी लड़ाकू विमान उड़ाने की जिम्मेदारी उठा सकेंगी। भारत के लिए बेशक यह एक बड़ी उपलब्धि है।

अमेरिकी संसद ने भी व्यक्त की थी खुशी


सभी वर्जनाएं तोड़कर अकेले लड़ाकू विमान की पायलट बनने पर अमेरिका की एक शीर्ष सांसद मार्था मैक्सैली ने फ़्लाइंग ऑफिसर अवनि चतुर्वेदी को उनकी इस कामयाबी के लिए ट्वीट कर बधाई दी।  मार्था को भी अमेरिका की पहली फाइटर पायलट  बनने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने 26 वर्ष तक अमेरिकी वायुसेना में अपनी सेवाएं दी हैं। वह वर्ष 2010 में कर्नल के पद से रिटायर हुईं थीं। वर्ष 1995 में इराक़ के डेविस- मोंटन एयरफोर्स बेस से A-10 वार्थहॉग फाइटर जेट से उड़ान भर अपना पहला युद्धक अभियान शुरू किया था।
बहरहाल, स्वागत कीजिये बड़ी उपलब्धि का, जिसने हजारों-लाखों महिलाओं के जज्बे को हौंसला और सपनों को पंख दिए हैं। ऐसे में यह देश के लिए और भी महत्वपूर्ण है जब देश की रक्षा मंत्री एक महिला हैं। यकीनन, भविष्य में रक्षा सेवाओं में तमाम भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ेगी।ऐसा अवनि के जज्बे और जोश ने साबित कर दिया है।

3 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, २ महान क्रांतिकारियों की स्मृतियों को समर्पित ११ जून “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. अवनि को इस महत्वपूर्ण उपलब्धिि के लिए बहुत बहुत बधाई..

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  3. वीरांगना तुम बढ़ी चलो ! मुश्किलों को रौंद कर, तुम अँधेरा चीर कर, बढ़ी चलो, बढ़ी चलो !

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