भारतीय थलसेना भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना की उत्पत्ति ईस्ट इण्डिया कम्पनी की ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में भारतीय राज्यों की टुकड़ियों से हुई थी जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना में टुकड़ी और रेजीमेंट का विविध इतिहास रहा है जिन्होनें दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है और बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये हैं। इन रेजीमेंट्स को जरूरत के हिसाब से मोर्चों पर भेजा जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं सेना की कुछ प्रसिद्ध रेजिमेंट्स के बारे में :-
पैराशूट रेजीमेंट की स्थापना आजादी से पहले 29 अक्टूबर 1941 को हुई थी।ये रेजीमेंट देश के सभी सैन्य बलों को युद्ध के दौरान हवाई मदद पहुंचाता है। सन 1999 में कारगिल युद्ध के समय 10 में से 9 पैराशूट बटालियन की तैनाती ऑपरेशन विजय के लिए हुई। कारगिल युद्ध में पैराशूट बटालियन ने महात्वपूर्ण भूमिका निभाई थी यही नहीं रेजिमेंट के जांबाज पैरा कमांडो दुनिया के सबसे खतरनाक सैनिकों में गिने जाते हैं
इस रेजिमेंट को सेना में सबसे शक्तिशाली रेजिमेंट माना जाता है। जब दुश्मन इनके सामने हो तो इनका सिर्फ एक ही ध्येय वाक्य होता है ‘सर्वदा शक्तिशाली’ यानी किसी भी परिस्थिति में मजबूत बने रहना है।
गोरखा रेजिमेंट किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उनका जयघोष ‘जय महा काली, आयो गुरखाली’ ही दुश्मन में खौफ पैदा करने के लिए काफी है ‘कायरता से मरना अच्छा’ के साथ अपने टार्गेट को नष्ट करना, अपने लक्ष्य को हासिल करना ही इनका सबसे बड़ा उद्देश्य होता है।
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 के बाद भारतीय सेना को मैकेनाइज्ड इंफ्रेंटी रेजीमेंट की जरूरत महसूस की गई। उसके बाद 1979 में मैकेनाइज्ड इंफ्रेंटी रेजीमेंट की स्थापना हुई। यह 26 बटालियनों में बंटी हुई है दो देश भर में फैली हुई हैं।मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजिमेंट ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन विजय में भाग लिया है। यह सोमालिया, कांगो, अंगोला और सियरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भी शामिल हुई। भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री रेजीमेंट को लद्दाख और सिक्किम के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी संचालन के लिए विशेष गौरव प्राप्त है।
'जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल' तथा 'बोल ज्वाला माता की जय' का युद्ध घोष करने वाली पंजाब रेजीमेंट भारत के सबसे पुराने फौजी रेजीमेंट में से है। भारत-पाक बंटवारे के समय पंजाब रेजीमेंट का भी बंटवारा हुआ। जिसका पहला हिस्सा पाकिस्तान को मिला, तो दूसरी बटालियन भारत को। पंजाब रेजीमेंट विदेशों में शांति कार्यक्रमों में काफी सक्रिय रही। लोगेंवाला की लड़ाई में पंजाब रेजीमेंट का जौहर हम सभी देख चुके हैं, इस रेजिमेंट का जौहर 'लोंगेवाला' में देख चुके है जिसने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी थी।
मद्रास रेजीमेंट भी भारतीय सेना के सबसे पुराने रेजीमेंट में से एक है। 1750 के दशक में अंग्रेजों ने इस रेजीमेंट की स्थापना की थी, जिसके नाम तमाम उपलब्धियां हैं। इस रेजीमेंट में 23 बटालियन हैं। स्वधर्मे निधनं श्रेयः यानी कर्तव्य का पालन करते हुए मरना जिसके लिए गौरव की बात है।ऐसी वीर रेजिमेंट का युद्ध के दौरान केवल एक ही लक्षय होता है वीरा मद्रासी, अडी कोल्लु अडी कोल्लु यानी वीर मद्रासी, आघात करो और मारो, आघात करो और मारो !
इस रेजीमेंट शुरुआत सन 1778 में तब हुई, जब 31वीं रेजीमेंट ( बंगाल नेटिव इनफ़ेंट्री) में तीसरी बटालियन बनी थी। इस बटालियन ने ही हैदर अली से युद्ध में कुड्डालोर पर विजय पाई थी। उनकी इसी बहदुरी के लिए 'विपरीत दिशाओं मे बने कटारों' का राज चिन्ह प्रदान किया गया था, जो आज तक राजपूत रेजीमेंट का बैज है। पहली बटालियन ने दिल्ली के युद्ध में इंपेरियाल कोर्ट में मराठों को परस्त कर दिया था। भरतपुर की घेराबंदी में भी बटालियन सक्रिय थी जिसमे लगभग 400 सैनिक शहीद हुए और 50 फीसदी घायल हुये थे। सर्वत्र विजय की लाइन के साथ राजपूत रेजीमेंट देश की सेवा करती है।
अंग्रेजों द्वारा 1795 में जाट रेजीमेंट की स्थापना की। जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की एक पैदल सेना रेजिमेंट है। यह सेना की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है। रेजिमेंट ने वर्ष 1839-1947 के बीच 19 और स्वंत्रता के पश्चात आठ महावीर चक्र, आठ कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना पदक जीते हैं। अपने 200 से अधिक वर्षों के जीवन में, रेजिमेंट ने पहले और दूसरे विश्व युद्ध सहित भारत और विदेशों में अनेक युद्धों में भाग लिया है।
जब भी युद्ध हुआ है तो भारत की सिख रेजीमेंट ने उस युद्ध का करारा जवाब दिया हैं और भारतीय सेना का मान बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान दिया है। सिख रेजीमेंट भारतीय सेना की सबसे खतरनाक सेना है। जिसे 72 लड़ाई ऑनर्स, 15 रंगमंच ऑनर्स, 2 परमवीर चक्र, 14 महावीर चक्र, 5 कीर्ति चक्र, 67 वीर चक्र और 1596 अन्य वीरता पुरुस्कार मिले हुए हैं। इस रेजीमेंट से कई अद्वितीय कहानियां जुड़ी हैं रेजिमेंट की पहली बटालियन अंग्रेजों द्वारा 1846 में सिर्फ सिख साम्राज्य के विलय से पहले बनाई गई थी। सिख रेजीमेंट में 19 बटालियन हैं, जो निश्चय कर अपनी जीत करो के नारे के साथ आगे बढ़ते हैं।
अंग्रेजों ने सन 1877 में डोगरा रेजीमेंट की स्थापना की थी। डोगरा रेजीमेंट ने पाकिस्तान के दांत बार बार खट्टे किए। डोगरा रेजीमेंट को देश के सबसे खतरनाक रेजीमेंट में गिना जाता है।
अंग्रेजों ने सन 1813 कुमाउं रेजीमेंट की स्थापना की थी। कुमाऊं रेजीमेंट अब तक 2 परम वीर चक्र, 4 अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। कुमाऊं रेजीमेंट ने तमाम युद्धों में अपना जौहर दिखाया। कुमाउं रेजीमेंट दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन ग्लेशियर में भी तैनात है।
असम रेजीमेंट की स्थापना 15 जून 1941 को हुई थी। असम रेजीमेंट में विशेष तौर पर नॉर्थ-ईस्ट से सिपाहियों की भर्ती होती है। असम रेजीमेंट ने चीन हमले के साथ ही बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी हिस्सा लिया था।
बिहार रेजीमेंट की स्थापना 1941 में हुई थी। बिहार रेजीमेंट ने आजादी से पहले बर्मा युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लिया, तो सभी भारत-पाक युद्धों में हिस्सा लिया। बिहार रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध में भी दुश्मनों के दांत खट्टे किए। बिहार रेजीमेंट के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने मुंबई हमलों के समय शहादत दी।
महार रेजीमेंट की स्थापना भी सन 1941 में हुई थी। महार रेजीमेंट को 1 परमवीर चक्र, 4 महावीर चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। महार रेजीमेंट में देश के सभी कोने से सिपाहियों की भर्ती की जाती है।
नगा रेजीमेंट
नगा रेजीमेंट देश का सबसे नई रेजीमेंट है। नगा रेजीमेंट की स्थापना 1970 में हुई। नगा रेजीमेंट ने अपनी स्थापना के तुरंत बाद बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लिया। नगा रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध के समय द्रास सेक्टर में कमान संभाली। नगा रेजीमेंट को तमाम युद्ध सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
पैराशूट रेजीमेंट
पैराशूट रेजीमेंट की स्थापना आजादी से पहले 29 अक्टूबर 1941 को हुई थी।ये रेजीमेंट देश के सभी सैन्य बलों को युद्ध के दौरान हवाई मदद पहुंचाता है। सन 1999 में कारगिल युद्ध के समय 10 में से 9 पैराशूट बटालियन की तैनाती ऑपरेशन विजय के लिए हुई। कारगिल युद्ध में पैराशूट बटालियन ने महात्वपूर्ण भूमिका निभाई थी यही नहीं रेजिमेंट के जांबाज पैरा कमांडो दुनिया के सबसे खतरनाक सैनिकों में गिने जाते हैं
ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट
इस रेजिमेंट को सेना में सबसे शक्तिशाली रेजिमेंट माना जाता है। जब दुश्मन इनके सामने हो तो इनका सिर्फ एक ही ध्येय वाक्य होता है ‘सर्वदा शक्तिशाली’ यानी किसी भी परिस्थिति में मजबूत बने रहना है।
गोरखा रेजिमेंट
गोरखा रेजिमेंट किसी परिचय की मोहताज नहीं है। उनका जयघोष ‘जय महा काली, आयो गुरखाली’ ही दुश्मन में खौफ पैदा करने के लिए काफी है ‘कायरता से मरना अच्छा’ के साथ अपने टार्गेट को नष्ट करना, अपने लक्ष्य को हासिल करना ही इनका सबसे बड़ा उद्देश्य होता है।
मैकेनाइज्ड इंफ्रेंट्री रेजीमेंट
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 के बाद भारतीय सेना को मैकेनाइज्ड इंफ्रेंटी रेजीमेंट की जरूरत महसूस की गई। उसके बाद 1979 में मैकेनाइज्ड इंफ्रेंटी रेजीमेंट की स्थापना हुई। यह 26 बटालियनों में बंटी हुई है दो देश भर में फैली हुई हैं।मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजिमेंट ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन विजय में भाग लिया है। यह सोमालिया, कांगो, अंगोला और सियरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भी शामिल हुई। भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री रेजीमेंट को लद्दाख और सिक्किम के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी संचालन के लिए विशेष गौरव प्राप्त है।
पंजाब रेजीमेंट
'जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल' तथा 'बोल ज्वाला माता की जय' का युद्ध घोष करने वाली पंजाब रेजीमेंट भारत के सबसे पुराने फौजी रेजीमेंट में से है। भारत-पाक बंटवारे के समय पंजाब रेजीमेंट का भी बंटवारा हुआ। जिसका पहला हिस्सा पाकिस्तान को मिला, तो दूसरी बटालियन भारत को। पंजाब रेजीमेंट विदेशों में शांति कार्यक्रमों में काफी सक्रिय रही। लोगेंवाला की लड़ाई में पंजाब रेजीमेंट का जौहर हम सभी देख चुके हैं, इस रेजिमेंट का जौहर 'लोंगेवाला' में देख चुके है जिसने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी थी।
मद्रास रेजीमेंट
मद्रास रेजीमेंट भी भारतीय सेना के सबसे पुराने रेजीमेंट में से एक है। 1750 के दशक में अंग्रेजों ने इस रेजीमेंट की स्थापना की थी, जिसके नाम तमाम उपलब्धियां हैं। इस रेजीमेंट में 23 बटालियन हैं। स्वधर्मे निधनं श्रेयः यानी कर्तव्य का पालन करते हुए मरना जिसके लिए गौरव की बात है।ऐसी वीर रेजिमेंट का युद्ध के दौरान केवल एक ही लक्षय होता है वीरा मद्रासी, अडी कोल्लु अडी कोल्लु यानी वीर मद्रासी, आघात करो और मारो, आघात करो और मारो !
राजपूत रेजीमेंट
इस रेजीमेंट शुरुआत सन 1778 में तब हुई, जब 31वीं रेजीमेंट ( बंगाल नेटिव इनफ़ेंट्री) में तीसरी बटालियन बनी थी। इस बटालियन ने ही हैदर अली से युद्ध में कुड्डालोर पर विजय पाई थी। उनकी इसी बहदुरी के लिए 'विपरीत दिशाओं मे बने कटारों' का राज चिन्ह प्रदान किया गया था, जो आज तक राजपूत रेजीमेंट का बैज है। पहली बटालियन ने दिल्ली के युद्ध में इंपेरियाल कोर्ट में मराठों को परस्त कर दिया था। भरतपुर की घेराबंदी में भी बटालियन सक्रिय थी जिसमे लगभग 400 सैनिक शहीद हुए और 50 फीसदी घायल हुये थे। सर्वत्र विजय की लाइन के साथ राजपूत रेजीमेंट देश की सेवा करती है।
जाट रेजीमेंट
अंग्रेजों द्वारा 1795 में जाट रेजीमेंट की स्थापना की। जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की एक पैदल सेना रेजिमेंट है। यह सेना की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा वीरता पुरस्कार विजेता रेजिमेंट है। रेजिमेंट ने वर्ष 1839-1947 के बीच 19 और स्वंत्रता के पश्चात आठ महावीर चक्र, आठ कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना पदक जीते हैं। अपने 200 से अधिक वर्षों के जीवन में, रेजिमेंट ने पहले और दूसरे विश्व युद्ध सहित भारत और विदेशों में अनेक युद्धों में भाग लिया है।
सिख रेजीमेंट
जब भी युद्ध हुआ है तो भारत की सिख रेजीमेंट ने उस युद्ध का करारा जवाब दिया हैं और भारतीय सेना का मान बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान दिया है। सिख रेजीमेंट भारतीय सेना की सबसे खतरनाक सेना है। जिसे 72 लड़ाई ऑनर्स, 15 रंगमंच ऑनर्स, 2 परमवीर चक्र, 14 महावीर चक्र, 5 कीर्ति चक्र, 67 वीर चक्र और 1596 अन्य वीरता पुरुस्कार मिले हुए हैं। इस रेजीमेंट से कई अद्वितीय कहानियां जुड़ी हैं रेजिमेंट की पहली बटालियन अंग्रेजों द्वारा 1846 में सिर्फ सिख साम्राज्य के विलय से पहले बनाई गई थी। सिख रेजीमेंट में 19 बटालियन हैं, जो निश्चय कर अपनी जीत करो के नारे के साथ आगे बढ़ते हैं।
डोगरा रेजीमेंट
अंग्रेजों ने सन 1877 में डोगरा रेजीमेंट की स्थापना की थी। डोगरा रेजीमेंट ने पाकिस्तान के दांत बार बार खट्टे किए। डोगरा रेजीमेंट को देश के सबसे खतरनाक रेजीमेंट में गिना जाता है।
कुमाऊं रेजीमेंट
अंग्रेजों ने सन 1813 कुमाउं रेजीमेंट की स्थापना की थी। कुमाऊं रेजीमेंट अब तक 2 परम वीर चक्र, 4 अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। कुमाऊं रेजीमेंट ने तमाम युद्धों में अपना जौहर दिखाया। कुमाउं रेजीमेंट दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन ग्लेशियर में भी तैनात है।
असम रेजीमेंट
असम रेजीमेंट की स्थापना 15 जून 1941 को हुई थी। असम रेजीमेंट में विशेष तौर पर नॉर्थ-ईस्ट से सिपाहियों की भर्ती होती है। असम रेजीमेंट ने चीन हमले के साथ ही बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी हिस्सा लिया था।
बिहार रेजीमेंट
बिहार रेजीमेंट की स्थापना 1941 में हुई थी। बिहार रेजीमेंट ने आजादी से पहले बर्मा युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लिया, तो सभी भारत-पाक युद्धों में हिस्सा लिया। बिहार रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध में भी दुश्मनों के दांत खट्टे किए। बिहार रेजीमेंट के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने मुंबई हमलों के समय शहादत दी।
महार रेजीमेंट
महार रेजीमेंट की स्थापना भी सन 1941 में हुई थी। महार रेजीमेंट को 1 परमवीर चक्र, 4 महावीर चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। महार रेजीमेंट में देश के सभी कोने से सिपाहियों की भर्ती की जाती है।
नगा रेजीमेंट
नगा रेजीमेंट देश का सबसे नई रेजीमेंट है। नगा रेजीमेंट की स्थापना 1970 में हुई। नगा रेजीमेंट ने अपनी स्थापना के तुरंत बाद बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लिया। नगा रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध के समय द्रास सेक्टर में कमान संभाली। नगा रेजीमेंट को तमाम युद्ध सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
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