Wednesday, January 3, 2018

जिंदा लोगों की कब्र है यह जेल, कैदी 7 हजार, टॉयलेट सिर्फ 21


जेल यानी ऐसी कैद जहां न अपनी मर्जी से रह सकते हैं, न अपनी मर्जी से खा सकते हैं।  जेल यानी सख्त पाबंदियों और बेड़ियों में जकड़ी, जिल्लत भरी जिन्दगी।  हालांकि हर जेल में कैदियों के हालत बुरे होते हैं लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी भी जेल हैं।  जहां कैदियों के जीवन को पल-पल खतरा रहता है।  अफ्रीका की गिटारामा जेल एक ऐसा ही कैदखाना है। जहां सुरक्षाकर्मी कैदियों को नहीं मारते बल्कि यहां बंद कैदी इतने खूंखार हो जाते हैं कि साथी कैदियों को मार डालते हैं और उनकी डेडबॉडी तक खा जाते हैं।  ऐसी ही जेल के बारे में आपको बता रहे है कुछ अनजानी बातें :

नर्क का दूसरा नाम



गिटारामा जेल जो अफ्रीका के रवांडा में स्थित है। इस जेल की गिनती दुनिया की सबसे खतरनाक जेलों में की जाती है। यहां कैदी बैठ नहीं सकते हैं क्योंकि वहां बैठने की कोई जगह नहीं है। वर्गाकार खुले आंगन, बेहद छोटी कोठरियां और सलाखों के पीछे ढेरों कैदियों को रखा जाता है।

न सोने को, न बैठने को जगह


किगली के दक्षिण-पश्चिम में कुछ 25 मील की दूरी पर, गिटारामा जेल 500 कैदियों को रखने के लिए बनाया गया था। लेकिन वर्तमान में यहां कैदियों की संख्या 7,000 है, और हर दिन ये संख्या बढ़ जाती है। यहां कैदियों के के लिए इतनी काम जगह है कि वे ना तो सही से सो पाते हैं और न ही बैठ सकते हैं यहां तक कि उन्हें ज्यादातर वक्त खड़े रहकर गुजारना होता है।

सात हजार कैदियों के लिए केवल 21 टॉयलेट


जेल परिसर में बनी रसोई के कारण के आंगन में आग की गर्मी और एक काला धुंधला धुंआ भर जाता है जिससे कैदियों को अक्सर गंभीर जलन व घुटन होती है। यहां इतनी भीड़ है कि कैदियों की गंभीर बीमारियों और घुटन के कारण मौत हो जाती है।यही नहीं 7,000 लोगों के लिए केवल 21 शौचालय हैं जिनमें पांच इमरजेंसी के लिए रिजर्व हैं।

यहां सड जाता है कैदियों का शरीर


यहां हर रोज होने वाली बरसात के कारण कीचड़ हो जाती है लेकिन कैदियों को इसी कीचड़ में रहने को मजबूर होना पड़ता है। बहुत से कैदी नंगे पांव आते हैं, कीचड़ के कारण अक्सर कैदियों के पैरों में घाव होने के कारण संक्रमित हो जाते हैं। पैरों में सड़न होने के कारण कैदियों की मौत तक हो जाती है।

एक दूसरे को मारकर खा जाते हैं कैदी


अस्पताल के कर्मचारियों के अनुसार जेल के 38 प्रतिशत लोग अनजाने ज़ख्मों व घावों से कराहते हैं जो उन्हें विस्फोट और हमलों के दौरान मिले, न सही इलाज, न ही ठीक भोजन और न कोई और सुविधा अमानवीय व्यवहार के कारण यहां कैदियों की इतनी दुर्दशा है कि कैदी कई बार आपस में लड़ते हैं, एक-दूसरे को मार डालते हैं और खा जाते हैं।

दम घुटने से हो जाती है मौत


जेल के अधिकारियों के अनुसार सबसे अधिक कैदी पिछले साल नरसंहार में शामिल होने के आरोप में कैद हैं जिसमें हूटु लड़ाकों, सैनिकों और भीड़ ने बड़ी संख्या में रवांडा नागरिकों की हत्या कर दी थी। जेल में रेडक्रॉस इन कैदियों को प्राथमिक उपचार मुहैया करता है लेकिन यह शायद इन कैदियों के लिए बहेद मामूली है। पिछले  वर्ष इस जेल में तकरीबन 1,000 कैदियों की घुटन, बीमारी और उपेक्षा के कारण मौत हो गई थी।

सरकार के पास नहीं है पैसा


सरकारी अधिकारियों के मुताबिक न तो रवांडा के पास और न ही अन्य संस्थानों के पास ही कैदियों से निपटने के लिए पैसा है। नरसंहार मामले के एक साल बाद भी, कोई कामकाजी न्यायिक प्रणाली नहीं है, और बिजली, जल व संचार जैसे बुनियादी सेवाओं को भी बहाल नहीं किया गया है।

न इलाज न भोजन और न ही न्याय



अधिकारियों के अनुसार एक सैन्य गाड़ी के रूप में हर हफ्ते 2,000 लोगों को जेल छोड़ जाती  है, लेकिन कोई भी परीक्षण के लिए नहीं आता है, 32,000 से अधिक रवांडा नागरिक 11 मुख्य जेलों में पैक हैं जिनके पास न तो वकील हैं, न पारिवारिक सदस्यों के मिलने की आस या न्याय की आशा।

विरोध के बावजूद कोई सुधार नहीं


इस जेल में हर दिन तकरीबन 8 लोगों की मौत अलग-अलग बीमारियों की वजह से होती है। कई मानवाधिकार संगठन इसका विरोध करते रहे हैं, लेकिन विरोध के बावजूद कैदियों के जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं हो पाया है। वास्तव में, गिटारामा जेल उन लोगों के लिए एक कब्र है जो अपनी उंचाई के बराबर ईंटों की दीवारों में कैद हैं।

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