भावनात्मक धोखेबाजी जिसे हम इमोशनल चीटिंग के रूप में ज्यादा समझते हैं हम में से हर कोई किसी न किसी रूप में इसका शिकार होता है। इमोशनल चीटिंग के दो पहलू होते हैं एक तो यह कि खुद इमोशनल चीटिंग का शिकार होना और दूसरा किसी अन्य व्यक्ति को भावनात्मक रूप से धोखा देना अथवा इमोशनली चीट करना। इमोशनल चीटिंग दरअसल एक सामान्य विषय है जो हमारे पारिवारिक व सामाजिक पारिवेश में महत्वपूर्ण दखल रखता है।
क्या है इमोशनल चीटिंग-
हम समय समय पर अपने काम निकलवाने अथवा अपनी बात मनवाने के लिए किसी झूठ या बहाने को सहारा बनाते हैं, जिसके बल हम अपने काम निकलवाने में सक्षम भी हो जाते हैं, उस समय तो वह सारी बातें सामान्य लगती हैं, मगर सच सामने आने पर हमारे व्यक्तिगत रिश्तों को खोखला बनाकर उन्हें उम्रभर ढोने के लिए मजबूर करती है। दरअसल, इमोशनल चीटिंग का अर्थ हैं अपने फायदे के लिए किसी विश्वासपात्र के मन को ठेस पहुंचाना। जहां 'अफैक्शन विद कंडीशन ' को साधन बनाया जाता है। आपने अक्सर देखा होगा कि हम अपने पेरेंट्स से किसी काम को अपने पारिवारिक व सामाजिक रिश्तों की खुशी के लिए किसी कार्य को कर तो देतें हैं, मगर उसके पीछे उनके विश्वास में आकर अपना स्वार्थ भी पूरा करते रहते हैं। एक शार्ट टम पीरियड में तो यह सब फलता-फुलता नजर आता हैं, लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आती हैं तो रिश्ते कमजोर बनने लगते हैं और उनमें कड़वाहट भरने लगती हैं।
पीढ़ियों का फासला
अक्सर देखा जाता है, कि बच्चों और माता-पिता के बीच इमोशनल चीटिंग थोड़े-थोड़े समय पर अपना असर दिखाती रहती है। बच्चा कोई दूसरा करियर अपनाना चाहता है लेकिन पेरेंट्स उसे किसी और फील्ड में भेजना चाहते हैं इसी तरह वह अपनी पसंद से विवाह करना चाहे मगर पैरेंट्स कुछ और चाहते हैं। ऐसे में बच्चा अपने मां बाप के खिलाफ भी नहीं जाना चाहता और मन से उसे को अपनान भी नहीं चाहता। ऐसे में पैरेंट्स के निर्णय को अपना तो लेता है, लेकिन वह उन्हें धोखे में रखकर उसके प्रति लापरवाह हो जाते हैं,और जब हकीकत सामने आती है तो खुद का भी नुकसान होता है और विश्वास को भी ठेस पहुंचती है। कई बार मां बाप अपने बच्चे के भले के लिए इमोशनल चीटिंग का सहारा लेते हैं, तो वहीं बच्चे अपने पेरेंट्स से अपनी बात मनवाने के लिए भावनात्मक धोखेबाजी को हथियार बना लेते हैं। यहां न सिर्फ बच्चों के संदर्भ में यह बातें देखी जाती हैं, बल्कि बड़े होने पर भी कई बार बच्चे अपने बुजुर्ग होते मां-बाप क ो भी इमोशनली चीट करने लगते हैं। जमीन जायदाद के मामलों में इस तरह की बातें ज्यादा सामने आती है। आपने देखा होगा कि कई लोग अपने माता-पिता का खूब ध्यान रखते हैं, उनकी खूब सेवा करते हैं अथवा उन्हें अपने साथ केवल इसलिए रखते हैं कि वह अपनी वसीयत उनके नाम कर दें अथवा जमीन जायदाद से उन्हें बेदखल न कर दें।
लव अफेयर-
यदि आप किसी रिलेशनशिप में हैं, तो वहां यदि एक दूसरे के भले के लिए आप एक दूसरे को थोड़ा बहुत चीट कर रहे हैं यानी हम यदि यह ध्यान रखते हैं कि आप जिसे चीट कर रहें हैं उसे सच बताने की गुंजाइश रहे तो ठीक है। अक्सर हम अपने निजी रिश्तों में एक हक के दायरे में भी अपनी बात मनवा लेते हैं, मगर यदि बात नहीं मानी जाती है, तो व्यक्ति इमोशनल चीटिंग का सहारा लेने लगता है। आप चाहते हैं कि आपका पार्टनर आपके कहे अनुसार चले, वह आपकी बात माने और यदि इसके विपरीत स्थिति उत्पन्न होती है तो हम किसी न किसी रूप में हम अपना स्वार्थ सिद्ध करने के तरीके खोजने लगते हैं, इन्हीं में शामिल होती है इमोशनल चीटिंग, कपिल नीति को बहुत पसंद करता है, लेकिन वह चाहता है कि वह जॉब न करे, जबकि नीति जॉब नहीं छोड़ना चाहती। ऐसे में वह उसे सीधे सीधे कहता है तो उसे डर है, कि वह नीति को खो न दे, मगर उसने दूसरा रास्ता अपनाया और नीति की जॉब छुड़वाने में कामयाब भी रहा, मगर जब नीति को यह मालूम चला कि उसे धोखा देकर यह सब किया गया, तो उसे बहुत हर्ट फील हुआ और अंतत: दोनों को रिश्ता टूट गया। इससे न सिर्फ दौनों के विश्वास को ठेस पहुंची बल्कि रिश्तों में दरार बनी । कई बार हम अपन ेपार्टनर की हर बात को ध्यान में रखते हुए भी उसे किसी तरह से धोखे में रखकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश करते हैं, जो एक तरफ हमारी भावनाओं को संतुष्टि देता है वहीं हमारे निजी और प्राथमिक रिश्तों को खोखला बनाता रहता है ।
मैरिड रिलेशन-
कई बार यह हम छोट छोटे विवादों से बचने के लिए भी अपनों या अपने पार्टनर के प्रत्येक बिहेवियर को झेलते रहते है और अपने आप में घुटते रहते हैं। तब विश्वास और जिम्मेदारी के दोराहे से बचकर एक दूसरा रास्ता निकाल लिया जाता है, जोकि इमोशनल चीटिंग के रूप में सामने आता है। मैरिड लाईफ मे सबसे ज्यादा इमोशनल चीटिंग एक्स्ट्रा मैरिटियल रिलेशनशिप के तौर पर देखने को मिलती है। जिसमें पति व पत्नि में से कोई भी केवल अपनी खुशी को ध्यान में रखते हुए एक दूसरे को इमोशनल चीट करते हैं जो धीरे धीरे बढ़ जाता है और विकराल रूप धारण कर लेती हैं यहीं कारण है कि आॅनरकिलिंग आत्महत्या जैसी घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं दरअसल हमारे निजी रिश्ते विश्वास की नींव पर टिके होते हैं जब वहां डिस्आॅनेस्टी क्रिएट होने लगती है तो रिश्तों के महल धराशायी होने लगते हैं।
आदतें बनती हैं कारण- किसी भी भाव की अधिकता हमारी आदत बनती है। हर व्यक्ति में कोई न कोई भाव प्रमुखता से होता ही है। कोई गुस्सेबाज होता है, कोई बहुत भावुक और जज्बाती होता है, कोई ईष्यावान होता है अथवा शक्कीमिजाज या सनकी भी हो सकता है। हम किसी भी आदत के शिकार जब होते हैं जब हम उन्हें अपनी दिनचर्या और जिंदगी में शामिल करने लगते हैं इमोशनली चीट करने या फिर स्वयं इमोशनल चीटिंग का शिकार होने के पीछे हमारा स्वयं का भी हाथ होता है। क्योंकि हम अपने आपसी रिश्तों में एक खुला व्यवहार बनाकर नहीं चलते और अपने अंदर शक व असुरक्षा की भावना को पनपने देते हैं। हम प्यार की आड़ में अपनी शर्ते मनवाने लगते हैं। हम अपनी बात को सीधे न कहकर इस बात की फि क्र करते हैं कि इससे कहीं रिश्तों पर फ र्क न पड़े। और होता वही है, हम एक छोटा सुराख न बनाने के चक्कर में पूरी खाई बना बैठते हैं जिसे भरना बेहद मुश्किल होता है नतीजतन अलगाव, तलाक, ब्रेकअप्स, बेदखली जैसे मामल सामने आते हैं ।
आदतें बनती हैं कारण- किसी भी भाव की अधिकता हमारी आदत बनती है। हर व्यक्ति में कोई न कोई भाव प्रमुखता से होता ही है। कोई गुस्सेबाज होता है, कोई बहुत भावुक और जज्बाती होता है, कोई ईष्यावान होता है अथवा शक्कीमिजाज या सनकी भी हो सकता है। हम किसी भी आदत के शिकार जब होते हैं जब हम उन्हें अपनी दिनचर्या और जिंदगी में शामिल करने लगते हैं इमोशनली चीट करने या फिर स्वयं इमोशनल चीटिंग का शिकार होने के पीछे हमारा स्वयं का भी हाथ होता है। क्योंकि हम अपने आपसी रिश्तों में एक खुला व्यवहार बनाकर नहीं चलते और अपने अंदर शक व असुरक्षा की भावना को पनपने देते हैं। हम प्यार की आड़ में अपनी शर्ते मनवाने लगते हैं। हम अपनी बात को सीधे न कहकर इस बात की फि क्र करते हैं कि इससे कहीं रिश्तों पर फ र्क न पड़े। और होता वही है, हम एक छोटा सुराख न बनाने के चक्कर में पूरी खाई बना बैठते हैं जिसे भरना बेहद मुश्किल होता है नतीजतन अलगाव, तलाक, ब्रेकअप्स, बेदखली जैसे मामल सामने आते हैं ।
कैसे करें पहचान-
जब कोई छोटा बच्चा चोरी से कुछ काम कर दे और उससे यह पूछा जाए कि यह तुमने किया तो यही कहता है कि मैंने यह नहीं किया। इसी तरह यदि किसी व्यक्ति से यह पूछा जाए आर यू चीटिंग आॅन मी तो वह कभी भी यह नहीं कहेगा कि यस आई एम, मगर इंसान के बहारी हाव भाव उसकी बॉडी लैंग्वेज उसके मनोभावों को जानने के लिए क ाफी होती है।
अक्सर इमोशनल चीटिंग करने वाला व्यक्ति सामने वाले से आईकांटेक्ट बनाने से बचने लगता है। इससे अलग कई बार वह आपके प्रति ज्यादा केयरिंग भी दिख सकता है। व्यक्ति से यदि कोई सवाल पूछा जाए तो वह बिना कहे ही डिटेल में उसका उत्तर देने की कोशिश करता है। यदि आप उनके निजी दिनचर्या के बारे में बात करेंगे तो वह आपका ध्यान बांटने की कोशिश करेगा। वह क्या, कब, कौन आदि शब्दों को प्रयोग अधिक करने लगता है। अक्सर बातों को छिपाते वक्त व्यक्ति अपने चेहरे कान नाक आदि को बार बार छूने लगता है। उसकी आदतों व वर्किंग शेड््यूल,ड्रेसिंग सेंस में अचानक कुछ बदलाव होने लगता है। ईमेल आईडी व मोबाइल आदि के पासवर्ड, नंबर आदि चेंज करना व आम बोलचाल की अपेक्षा ज्यादा तेजी से बोलने लगता है यानी आप इन बदलावों पर गौर करेंगे तो आप यह जान सकते हैं कि सामने वाला कहीं आपको इमोशनली चीट तो नहीं कर रहा है।
अक्सर इमोशनल चीटिंग करने वाला व्यक्ति सामने वाले से आईकांटेक्ट बनाने से बचने लगता है। इससे अलग कई बार वह आपके प्रति ज्यादा केयरिंग भी दिख सकता है। व्यक्ति से यदि कोई सवाल पूछा जाए तो वह बिना कहे ही डिटेल में उसका उत्तर देने की कोशिश करता है। यदि आप उनके निजी दिनचर्या के बारे में बात करेंगे तो वह आपका ध्यान बांटने की कोशिश करेगा। वह क्या, कब, कौन आदि शब्दों को प्रयोग अधिक करने लगता है। अक्सर बातों को छिपाते वक्त व्यक्ति अपने चेहरे कान नाक आदि को बार बार छूने लगता है। उसकी आदतों व वर्किंग शेड््यूल,ड्रेसिंग सेंस में अचानक कुछ बदलाव होने लगता है। ईमेल आईडी व मोबाइल आदि के पासवर्ड, नंबर आदि चेंज करना व आम बोलचाल की अपेक्षा ज्यादा तेजी से बोलने लगता है यानी आप इन बदलावों पर गौर करेंगे तो आप यह जान सकते हैं कि सामने वाला कहीं आपको इमोशनली चीट तो नहीं कर रहा है।
हाउ टु कम ओवर-
किसी भी स्थिति से उबरने में थोड़ा वक्त तो लगता ही है। इसलिए अपने रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए अपनी कमियों को सुधारें।
पूरी पिक्चर को ध्यान से देखें और निर्णय लें कि आदतों में बदलाव आने के क्या कारण हो सकते हैं।
आपके भीतर जो चीजें कॉमन हैं उन पर डिस्कशन करें।
प्यार को शर्तों में न बांधे बल्कि फर्ज अदा करें और यह ध्यान रखें कि सभी के अपने अधिकार इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता है ।
छोटी छोटी आदतों में बदलाव को शक के नजरिए से न देखें, बल्कि यह विचार करें कि इन बदलावों के क्या कारण हैं।
अपनों से अधिक अपेक्षाएं न रखें, तथा छोटी छोटी बातों पर शर्त न रखें।
गुजरे वक्त की तुलना आज के वक्त से न करें। हर छोटी बात पर विवाद व बहस न करें, क्योंकि छोटे विवाद ही कम्युनिकेशन गैप का कारण बनते हैं।
एक दूसरे को चैलेंज न करें। समय समय पर अपने विचार बातें अपनों के साथ शेयर करते रहें।
''अक्सर हम अपने रिश्तों में अपनी बात मनवाने के लिए कोई शर्त रख देते हैं और जब वह शर्त पूरी नहीं होती तो इमोशनल चीटिंग का सहारा लिया जाता है। जिसमें हमारा स्वयं का स्वार्थ निहित होता है। हम किसी को भावनात्मक रूप से चोट जब पहुंचाते हैं जब हमारे भीतर लालच की भावना आ जाती है। जिसे पूरा करने के लिए हम अपनों के साथ चापलूसी करने लगते हैं या ज्यादा केयरिंग हो जाते हैं और प्यार का बहारी दिखावा करते हैं। इसका एहसास शार्ट टर्म में नही होता और हम एक लंबी डिस्आॅनेस्टी क्रिएट कर लेते हैं और अति होने पर रिश्तों से मुंह मोड़ लेने पर मजबूर करते हैं।यदि आपसी समझ और अंर्डस्टेंडिंग के साथ शुरूआत में ही दिक्कतों को खत्म कर देना चाहिए।''
पूरी पिक्चर को ध्यान से देखें और निर्णय लें कि आदतों में बदलाव आने के क्या कारण हो सकते हैं।
आपके भीतर जो चीजें कॉमन हैं उन पर डिस्कशन करें।
प्यार को शर्तों में न बांधे बल्कि फर्ज अदा करें और यह ध्यान रखें कि सभी के अपने अधिकार इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता है ।
छोटी छोटी आदतों में बदलाव को शक के नजरिए से न देखें, बल्कि यह विचार करें कि इन बदलावों के क्या कारण हैं।
अपनों से अधिक अपेक्षाएं न रखें, तथा छोटी छोटी बातों पर शर्त न रखें।
गुजरे वक्त की तुलना आज के वक्त से न करें। हर छोटी बात पर विवाद व बहस न करें, क्योंकि छोटे विवाद ही कम्युनिकेशन गैप का कारण बनते हैं।
एक दूसरे को चैलेंज न करें। समय समय पर अपने विचार बातें अपनों के साथ शेयर करते रहें।
''अक्सर हम अपने रिश्तों में अपनी बात मनवाने के लिए कोई शर्त रख देते हैं और जब वह शर्त पूरी नहीं होती तो इमोशनल चीटिंग का सहारा लिया जाता है। जिसमें हमारा स्वयं का स्वार्थ निहित होता है। हम किसी को भावनात्मक रूप से चोट जब पहुंचाते हैं जब हमारे भीतर लालच की भावना आ जाती है। जिसे पूरा करने के लिए हम अपनों के साथ चापलूसी करने लगते हैं या ज्यादा केयरिंग हो जाते हैं और प्यार का बहारी दिखावा करते हैं। इसका एहसास शार्ट टर्म में नही होता और हम एक लंबी डिस्आॅनेस्टी क्रिएट कर लेते हैं और अति होने पर रिश्तों से मुंह मोड़ लेने पर मजबूर करते हैं।यदि आपसी समझ और अंर्डस्टेंडिंग के साथ शुरूआत में ही दिक्कतों को खत्म कर देना चाहिए।''
मनोचिकित्सक डा0 पूनम देवदत्त
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