शौर्य, पराक्रम, वीरता, साहस और अदम्य उत्साह से भरे अनेक वीरों सपूतों ने देश के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया। कितने ही देश भक्तों ने बिना अपनी जान की परवाह किए ज़रुरत पड़ने पर जानलेवा हालात का सामना किया। ऐसे ही वीरों के जज्बे को सराहने के लिए अनेक वीरता पुरस्कार भी दिए जाते है। 69वें गणतंत्र दिवस के मौके पर यह पुरस्कार वायुसेना के गरुड़ कमांडो ज्योतिप्रकाश निराला को मरणोपरांत प्रदान किया गया वह जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। आज हम आपको शांतिकाल के इस सबसे बड़े वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से जुड़े कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं:
अशोक चक्र भारत का शांतिकाल का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान
जिस तरह परमवीर चक्र युद्धकल का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है, उसी तरह ही अशोक चक्र भारत का शांतिकाल का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है। ये सम्मान उन लोगों को दिया जाता है जो ज़रुरत पड़ने पर अतुल्य साहस और बहादुरी का परिचय देते है।
आम नागरिक भी अशोक चक्र से सम्मानित किए जाते हैं
ज़रुरत पड़ने पर हिम्मत और जज्बे भरे कार्य को अंजाम देने पर सुरक्षाकर्मियों के अलावा आम नागरिकों को भी अशोक चक्र से सम्मानित किया जाता है। भारतीय नीरजा भनोट को भी अशोक चक्र प्रदान किया जा चुका है । अपनी जान की परवाह न करते हुए 23 वर्षीय नीरजा ने 380 लोगों की जान बचाई थी ।
अमेरिका के 'मेडल ऑफ़ ऑनर' और ब्रिटेन के 'जॉर्ज क्रॉस' के समान है अशोक चक्र
अशोक चक्र अमेरिका के शांतिकाल सम्मान 'मेडल ऑफ़ ऑनर' और ब्रिटेन के 'जॉर्ज क्रॉस' के समान है।
अशोक चक्र पर वृत्ताकार मेडल पर सोने का पानी चढ़ा होता है
अशोक चक्र का निर्माण 4 जनवरी, 1952 को किया गया था। इस वृत्ताकार मेडल पर सोने का पानी चढ़ा होता है और बीच में अशोक चक्र बना होता है। अशोक चक्र का रिबन 32 MM के गहरे हरे रंग का होता है और बीच में 2 MM का केसरिया रंग की धारी होती है।
इस सम्मान से अब तक 64 लोग नवाजे जा चुके हैं
अनूठी वीरता का प्रदर्शन और निस्वार्थ सेवा के लिए अब तक 64 लोगों को अशोक चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।
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