मीलों की यात्रा से नहीं खोजी जा सकती है दुनिया
और यह भी जरूरी नहीं कि
बहुत लंबी हो यह, मगर
एक आध्यात्मिक यात्रा से
एक इंच की यात्रा से
जो होती है बहुत कठिन, सुखद और खुशहाल
जिससे अपने पैरों के बल पर हम जमीन पर पहुंचते हैं
और रखते हैं अपना पहला कदम
अपने ही घर में घूम लेते हैं हम दुनिया का कोना कोना।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन समोसे के साथ चटनी फ्री नहीं रही,ऐसे मे बैंक सेवाएँ फ्री कहाँ - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
कितने सुंदरता से मन के भावों को व्यक्त किया है ....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ....!!