अक्सर कहा जाता है कि महिलाएं कम शक्तिशाली होती हैं। लेकिन हम आपको जो तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं उनसे आप यह अंदाजा लगा सकेंगे कि 19वीं सदी की महिलाएं 20वीं सदी की महिलाओं से किसी भी रूप में कम नहीं थी। या यूं कहें कि उनसे भी आगे थीं। द्वीतीय विश्व युद्ध के दौरान जहां दुनिया भर के पुरुष जंग के मैदान में उतर रहे थे। वहीं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों की महिलाएं युद्ध में उनकी हर संभव सामरिक सहायता कर रही थीं। चाहे बात मैकेनिक के रूप में मशीनों को ठीक करने की हो, बन्दूक तानकर दुश्मन को उडाना हो या फिर नर्स के रूप में घायल सैनिकों का जीवन बचाना हो। उन्होंने पुरुषों के ही समान कंधे से कंधा मिलकर काम किया। आइये देखते हैं आखिर द्वीतीय विश्व युद्ध में क्या थी महिलाओं की भूमिका :-
हर काम में परफेक्ट
एयरक्राफ्ट के स्टाम्प डिजाइन पर रोगन करती एक महिला वर्कर।
उड़ाए विशाल एयरक्राफ्ट
तकरीबन 350,000 अमेरिकी महिलाओं ने वर्दी में अपनी सेवाएं दीं। इन महिलाओं को उस समय बनाई गई women's Auxiliary Corps में भर्ती किया गया था।
युद्ध के मैदान में नहीं हटी पीछे
महिलाओं के कार्यों में बड़ी मशीनें ठीक करने से लेकर सेना के सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी शामिल था।
बचाई घायल लोगों की जिंदगी
जंग के दौरान घायल हुए सैनिकों के लिए महिलाओं ने नर्स के रूप में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। मोर्चे पर घायलों को चिकित्सा मुहैया शायद सबसे महात्वपूर्ण भी था जिसे महिलाओं ने बखूबी निभाया।
मोटरसाइकिल मैसेंजर
द्वीतीय विश्वयुद्ध में पुरूष जहां मोर्चे पर तैनात थे। वहीँ महिलाएं मोटरसाइकिल मैसेंजर के रूप में संदेशवाहक का कार्य भी कर रहीं थीं। सेना के ऑफिशियल कार्यों के लिए पश्चिमी देशों ने बड़ी संख्या में नियुक्त किया गया।
एयरक्राफ्ट इंजीनियर
यह तस्वीर 1942 की है। जिसे होवार्ड आर. होल्लेम ने अक्टूबर माह में खींचा था।
वूमेन ऑफ स्टील
बड़ी मशीनों की मैकेनिक भी रही हैं महिलाएं। एक एयरक्राफ्ट के निर्माण में व्यस्त वार-वूमेन।
मिलती थी इतनी तनख्वाह
मशीनों की मरम्मत, जहाजों के निर्माण व सामान की देख-रेख जैसे इन कठिन कार्यों के लिए महिलाओं को एक घंटे के 56 सेंट्स दिए जाते थे।
तेज दिमाग
युद्ध का सामान बनाने की फैक्ट्री में मशीनों को बारीकी से जांच-पड़ताल करती एक महिला वर्कर।
युद्धकौशल का प्रशिक्षण
कोम्बेट रोल में भी महिलाओं ने द्वीतीय विश्व युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन तस्वीरों में आप देख रहे हैं बाधाओं को पार करने और बन्दूक चलाने का प्रशिक्षण लेती महिलाएं।
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