वो सांवली सी लड़की........
मिलती है आसमां की उड़ान में सदा
उसे कहो उतर जरा जमीं से पांव लगाए कभी।
वो चुपचाप सी लड़की.........
बोलती है, मगर एहसास को लफ्जों में पिरोकर
गाती है चमकती आंखों से, अनसुना सा गीत कोई
देखूं चेहरा अगर पर्दा-ए-खामोशी गिराए कभी।
वो परेशान सी लड़की...........
लपेटे आती है ख्वाहिशों को जुल्फ में कैद किए
वो कांच की परीवश है कि छूते ही न चटख जाए कहीं
मचलती है कि फिर संभलती है दिल की तरह
किसी अकेली शाम में सोचती हूं उसे कॉफी पे बुला लूं।
पूछूं हाल-ए-दिल मुझको सुनाए कभी।
वो सांवली सी लड़की........।
मिलती है आसमां की उड़ान में सदा
उसे कहो उतर जरा जमीं से पांव लगाए कभी।
वो चुपचाप सी लड़की.........
बोलती है, मगर एहसास को लफ्जों में पिरोकर
गाती है चमकती आंखों से, अनसुना सा गीत कोई
देखूं चेहरा अगर पर्दा-ए-खामोशी गिराए कभी।
वो परेशान सी लड़की...........
लपेटे आती है ख्वाहिशों को जुल्फ में कैद किए
वो कांच की परीवश है कि छूते ही न चटख जाए कहीं
मचलती है कि फिर संभलती है दिल की तरह
किसी अकेली शाम में सोचती हूं उसे कॉफी पे बुला लूं।
पूछूं हाल-ए-दिल मुझको सुनाए कभी।
वो सांवली सी लड़की........।
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