मुझे मालूम नहीं था कि यह नो पर्किंग जोन है, बस कार पार्क की और उतरकर चल दी। कुछ देर बाद लौटी, तो एक पुलिस वाला कार पर कुहनी गढ़ाए शायद मेरे ही आने का इंतजार कर रहा था। मैं उसे देखकर थोड़ा सहमी, लेकिन सामान्य होकर गाड़ी के करीब पहुंची।
मैडम जी गाड्डी आप ही की है के.....? , पुलिसवाले ने देहाती लहजे में पूछा .
जी हां, है तो मेरी ही, लेकिन क्या तकलीफ दे रही है?
गाड्डी 'नो पार्किंग' में खड़ी है, चालान बनेगा रॉन्ग पर्किंग का। साढ़े चारसौ रुपए भरने पडयेंगे जुर्माने के तुरंत।
मैनें अचंभित होकर कहा, क्या.......? अरे मुझे सच में नहीं पता था कि ये नो पार्किंग जोन है और यहां कौन सा बोर्ड लगा है, जिस पर ये लिखा हो कि यहां कार पार्किंग मना है?
मैड्म पढ़ी-लिखी होके भी बहस कर रही हो। इब जल्दी से जुर्माना भर दो।
पढ़ी-लिखी हूं तब ही बहस कर रही हूं, लेकिन आपको बता दूं कि मैं एक भली लड़की हूं और भले परिवार से ताल्लुक रखती हूं। खुद भी ईमानदारी से काम करती हूं और दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करती हूं। मुझे मालूम होता, तो मैं यहां गाड़ी बिल्कुल न पार्क करती ।
पुलिसमैंन ने कहा- भले आदमी तो हम भी बहुत है और भले लोगों की हमेशा मदद किया करते हैं। ईमानदारी और भलाई के लिए अक्सर हमें ईनाम भी मिलते रहते हैं।
मुझे इस पर हंसी आई और मैनें सौ रुपए पर्स से निकाल कर कार पर रखी उसकी हथेली के नीचे सरका दिए और कहा- तभी तो महकमे को आप जैसे लोगों पर बहुत गर्व है। पुलिसमैन ने मुटठी बंद की, नोट को जेब में ठूंसा और बोला, मैड्म जी अगर दुनिया में सब आपकी तरह भले हो जाएं, तो हमें कोई शौक थोड़े ही है चालान बनाने का। -डिम्पल सिरोही
मैडम जी गाड्डी आप ही की है के.....? , पुलिसवाले ने देहाती लहजे में पूछा .
जी हां, है तो मेरी ही, लेकिन क्या तकलीफ दे रही है?
गाड्डी 'नो पार्किंग' में खड़ी है, चालान बनेगा रॉन्ग पर्किंग का। साढ़े चारसौ रुपए भरने पडयेंगे जुर्माने के तुरंत।
मैनें अचंभित होकर कहा, क्या.......? अरे मुझे सच में नहीं पता था कि ये नो पार्किंग जोन है और यहां कौन सा बोर्ड लगा है, जिस पर ये लिखा हो कि यहां कार पार्किंग मना है?
मैड्म पढ़ी-लिखी होके भी बहस कर रही हो। इब जल्दी से जुर्माना भर दो।
पढ़ी-लिखी हूं तब ही बहस कर रही हूं, लेकिन आपको बता दूं कि मैं एक भली लड़की हूं और भले परिवार से ताल्लुक रखती हूं। खुद भी ईमानदारी से काम करती हूं और दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करती हूं। मुझे मालूम होता, तो मैं यहां गाड़ी बिल्कुल न पार्क करती ।
पुलिसमैंन ने कहा- भले आदमी तो हम भी बहुत है और भले लोगों की हमेशा मदद किया करते हैं। ईमानदारी और भलाई के लिए अक्सर हमें ईनाम भी मिलते रहते हैं।
मुझे इस पर हंसी आई और मैनें सौ रुपए पर्स से निकाल कर कार पर रखी उसकी हथेली के नीचे सरका दिए और कहा- तभी तो महकमे को आप जैसे लोगों पर बहुत गर्व है। पुलिसमैन ने मुटठी बंद की, नोट को जेब में ठूंसा और बोला, मैड्म जी अगर दुनिया में सब आपकी तरह भले हो जाएं, तो हमें कोई शौक थोड़े ही है चालान बनाने का। -डिम्पल सिरोही
आज की ब्लॉग बुलेटिन बी पॉज़िटिव, यार - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
ReplyDeleteसादर आभार !
लिखते रहिये :)
ReplyDeleteदेव जी और सुशील कुमार जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया.......
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