Wednesday, April 2, 2014

कमबख्त, आसमानों तक उड़ान भरती है...

दिल किसी दर्जी सा दिन को टांकता जाता है,
 जिंदगी हर घड़ी को इम्तहान करती है।
मेरे सपनों को जमा करके उछाल न दे कोई,
 यही बात  मुझे मौत से ज्यादा परेशान करती है।
 कब तलक बांध के रखें, खयालों की जुल्फ को,
 कमबख्त, आसमानों तक उड़ान भरती है।

3 comments:

  1. कब तलक बांध के रखें, खयालों की जुल्फ को,
    कमबख्त, आसमानों तक उड़ान भरती है।
    बहुत ही सही ... उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

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