राबर्ट गेबिरियल मुगाबे ने जब 23 अगस्त को जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, तो उमड़ी भीड़ को देखकर लग रहा था कि वह आज भी अपने देश की जनता के दिल में जगह बनाए हुए हैं। 21 फरवरी वर्ष 1924 को दक्षिणी रोडेशिया के कुतामा में जन्मे मुगाबे के पिता एक कारपेंटर थे, जो साउथ अफ्रीका के एक जैसुट मिशन पर कार्य करते थे और एक दिन अचानक रहस्यमई तरीके से गायब हो गए थे। छह बच्चों के साथ मुगाबे की मां अब अकेली थी। मुगाबे अपने बहन भाइयों में तीसरे नंबर हैं। उन्होंने अपने परिवार की मदद करने के लिए छोटी नौकरी करनी शुरू कर दी। मुगाबे की सोसायटी में अच्छी शिक्षा ग्रहण करना बच्चों के लिए सपना था, लेकिन मुगाबे उनमें से भाग्यशाली थे कि उन्हें अच्छी शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिला।
मुगाबे ने अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद 1951 में अंग्रेजी और इतिहास में साउथ अफ्रीका की यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री प्राप्त की, जिसके बाद वह शिक्षक के तौर पर कार्य करने के लिए अपने होमटाउन वापस आ गए। 1955 में वह उत्तरी रोडेशिया चले आए, जहां उन्होंने चालिंबाना में चार वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया। घाना आने के बाद उन्होंने 1958 में अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की और सेंट मेरी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में शिक्षण कार्य करने लगे। यहीं पर उनकी मुलाकात शैली हेयफ्रॉन से हुई, जिससे उन्होंने 1961 में विवाह किया। दुर्भाग्यवश बीमारी के कारण पत्नी की मृत्यु हो गई। उनका एकमात्र बेटा माइकल नहामोडजेनियाका भी केवल तीन वर्ष की उम्र में चल बसा।
घाना में ही मुगाबे ने खुद को मार्क्सवादी घोषित किया। 1963 में उन्होंने कुछ समर्थकों के साथ ह्यजिम्ब्वावे अफ्रीकन नेशनल यूनियनह्ण की स्थापना की। वह पहली बार 1960 में उस समय प्रसिद्ध हुए, जब रोडेशिया में गोरे लोगों का राज चल रहा था और मुगाबे ने गोरे शासन के खिलाफ छापामार युद्ध छेड़ रखा था। 1964 से 1974 के बीच वह एक राजनीतिक कैदी रहे। स्वतंत्रता युद्ध के बाद वह अफ्रीकियों के नायक के तौर पर उभर कर सामने आए थे। 1980 में वह पहली बार जिम्ब्बावे के प्रधानमंत्री बने थे। 1987 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति का पद हासिल किया। 1990, 1996 व 2002 में वह दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए। 2008 में वह फिर से राष्ट्रपति बने। मुगाबे 1990 से यूनिवर्सिटी आॅफ जिम्ब्बावे के चांसलर भी रह चुके हैं। 1996 को मुगाबे ने अपनी पूर्व सेक्रेटरी ग्रेस मारूफू से विवाह किया, जो अपनी शॉपिंग के कारण हमेशा चर्चा में रहती हैं।
मुगाबे ने अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद 1951 में अंग्रेजी और इतिहास में साउथ अफ्रीका की यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री प्राप्त की, जिसके बाद वह शिक्षक के तौर पर कार्य करने के लिए अपने होमटाउन वापस आ गए। 1955 में वह उत्तरी रोडेशिया चले आए, जहां उन्होंने चालिंबाना में चार वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया। घाना आने के बाद उन्होंने 1958 में अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की और सेंट मेरी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में शिक्षण कार्य करने लगे। यहीं पर उनकी मुलाकात शैली हेयफ्रॉन से हुई, जिससे उन्होंने 1961 में विवाह किया। दुर्भाग्यवश बीमारी के कारण पत्नी की मृत्यु हो गई। उनका एकमात्र बेटा माइकल नहामोडजेनियाका भी केवल तीन वर्ष की उम्र में चल बसा।
घाना में ही मुगाबे ने खुद को मार्क्सवादी घोषित किया। 1963 में उन्होंने कुछ समर्थकों के साथ ह्यजिम्ब्वावे अफ्रीकन नेशनल यूनियनह्ण की स्थापना की। वह पहली बार 1960 में उस समय प्रसिद्ध हुए, जब रोडेशिया में गोरे लोगों का राज चल रहा था और मुगाबे ने गोरे शासन के खिलाफ छापामार युद्ध छेड़ रखा था। 1964 से 1974 के बीच वह एक राजनीतिक कैदी रहे। स्वतंत्रता युद्ध के बाद वह अफ्रीकियों के नायक के तौर पर उभर कर सामने आए थे। 1980 में वह पहली बार जिम्ब्बावे के प्रधानमंत्री बने थे। 1987 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति का पद हासिल किया। 1990, 1996 व 2002 में वह दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए। 2008 में वह फिर से राष्ट्रपति बने। मुगाबे 1990 से यूनिवर्सिटी आॅफ जिम्ब्बावे के चांसलर भी रह चुके हैं। 1996 को मुगाबे ने अपनी पूर्व सेक्रेटरी ग्रेस मारूफू से विवाह किया, जो अपनी शॉपिंग के कारण हमेशा चर्चा में रहती हैं।
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